संसदीय समिति ने सरकार से कहा- दर्जन भर कानून के नियम बनने में हो रहा विलंब

Amrit Vichar Network
Published By Om Parkash chaubey
On

नई दिल्ली। वक्फ बोर्ड संशोधन अधिनियम, राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग अधिनियम सहित एक दर्जन कानून बनने के काफी समय गुजर जाने के बाद भी इनके नियम तैयार नहीं हुए है तथा संसद की एक समिति ने शुक्रवार को संबंधित मंत्रालयों से इस कार्य में तेजी लाने को कहा। सूत्रों ने यह जानकारी दी।

ये भी पढ़ें - त्रिपुरा: पुलिस ने जब्त की 13.8 करोड़ रुपये की हेरोइन 

सूत्रों ने बताया कि कई कानूनों के अस्तित्व में आने के काफी समय गुजरने के बाद भी नियम तैयार नहीं हुए हैं । ऐसे में राज्यसभा की अधीनस्थ विधान संबंधी समिति ने इन अधिनियमों के तहत नियम या विधान तैयार होने में हुए विलंब के कारणों पर चर्चा की। उन्होंने बताया कि इस विषय पर संबंधित मंत्रालयों/विभागों ने नियम तैयार करने को लेकर कुछ समय मांगा है और उनसे इस कार्य में तेजी लाने को कहा गया है।

सूत्रों के अनुसार राज्यसभा की अधीनस्थ विधान संबंधी समिति ने जिन अधिनियमों तहत अधीनस्थ विधान या नियम तैयार करने में हुई देरी पर विचार किया गया, उनमें वक्फ बोर्ड संशोधन अधिनियम 2013, राष्ट्रीय आयुर्विज्ञान आयोग अधिनियम 2019, राष्ट्रीय होम्योपैथी आयोग अधिनियम 2020, राष्ट्रीय भारतीय आयुर्विज्ञान प्रणाली आयोग अधिनियम 2020, आयुर्वेद शिक्षण और अनुसंधान संस्थान अधिनियम 2020 शामिल हैं।

इसमें सिक्किम विश्वविद्यालय अधिनियम 2006, त्रिपुरा विश्वविद्यालय अधिनियम 2006, इंदिरा गांधी राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय अधिनियम 2007, केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम 2009, भारतीय प्रबंध संस्थान अधिनियम 2017, केंद्रीय विश्वविद्यालय संशोधन अधिनियम 2019 और केंद्रीय संस्कृत विश्वविद्यालय अधिनियम 2020 शामिल हैं।

इस बारे में पूछे जाने पर लोकसभा के पूर्व महासचिव पी डी टी आचारी ने ‘भाषा’ से कहा कि अगर किसी कानून को लेकर नियम नहीं तैयार किया जाते हैं, तब वह कानून अधूरा है। उन्होंने कहा कि अधिनियम बनने के बाद नियम तैयार नहीं होते हैं तब वह कानून कागजों में ही रह जायेगा और उस कानून को पूरी तरह से लागू नहीं किया जा सकेगा।

आचारी ने कहा कि किसी मंत्रालय से कानून के बारे में कोई प्रस्ताव आता है, तो उसे पता होता है कि समस्या क्या है और इस प्रस्ताव को लाने का मकसद क्या है। उन्होंने कहा, ‘‘ ऐसे में विधेयक तैयार करते समय ही नियमों का खाका भी तैयार करना चाहिए। ऐसा इसलिए क्योंकि कानून का महत्वपूर्ण पहलु उसके नियम हैं।’’ उन्होंने कहा कि यह एक महत्वपूर्ण विषय है और सरकारी मशीनरी को चुस्त दुरूस्त किये जाने की जरूरत है।

ये भी पढ़ें - BJP के समान नागरिक संहिता सबंधी कदम के पीछे ‘चुनावी एजेंडा’ : CM पिनराई विजयन

संबंधित समाचार