मुरादाबाद : थानों से मिली निराशा, आवेदकों को अब एसएसपी से आशा

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Published By Bhawna
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न्याय पाने की आस में कार्यालय में जुट रही फरियादियों की भीड़, पेश होने को लगती हैं दो लाइनें 

मुरादाबाद, अमृत विचार। महानगर व ग्रामीण क्षेत्र में कुल 20 थाने हैं, जहां से निराश होकर फरियादी जिला मुख्यालय पर एसएसपी ऑफिस में आकर प्रार्थना पत्र दे रहे हैं। सोमवार दोपहर के 12:10 बजे थे। एसएसपी ऑफिस में 35-40 महिला-पुरुष अर्जी पकड़े लाइन में खड़े थे। एसएसपी ऑफिस के बाहर एक लाइन में पुरुष तो दूसरी लाइन में महिलाएं थीं। इसी छत के नीचे प्रार्थना पत्र काउंटर के पीछे एसपी ग्रामीण कार्यालय के बाहर 8-10 पुलिसकर्मी भी खड़े थे।  दोपहर 2:15 बजे तक एसएसपी ऑफिस में कुल 135 पीड़ितों ने प्रार्थना पत्र दिया।

एसएसपी हेमराज मीना और क्षेत्राधिकारी ट्रैफिक अंकित तिवारी सुनवाई कर रहे थे। भीड़ यह संकेत है कि फरियादी थानों की कार्यशैली से संतुष्ट नहीं हैं। वहां निराशा होने के बाद उन्हें एसएसपी स्तर से सुनवाई की पूरी आशा है। लेकिन, देखा जाए तो यह गलत है। फरियादी लंबा सफर तय करते हुए किराया-भाड़ा खर्च कर किसी तरह से एसएसपी ऑफिस तक पहुंचने की जद्दोजहद में हैं। यदि इनकी सुनवाई थाने पर हो जाए तो लोगों का समय संग किराया-भाड़ा बचेगा और दौड़भाग भी। 

लेकिन, थानों पर सुनवाई के अभाव में पीड़ित सीधे जिला मुख्यालय पर आकर एसएसपी से न्याय मिलने की उम्मीद लगाए हैं। एसएसपी ऑफिस में भी इतनी अधिक संख्या में फरियादी अर्जी लेकर आ रहे हैं कि व्यवस्था संभालने में उनको लाइन में खड़ा कराना होता है। अर्जियां पहले जमा कर ली जाती हैं, फिर उन्हें लाइन में लगाकर छह-सात लोगों को ग्रुप में एसएसपी के सामने पेश कराया जाता है। हैरत की बात ये भी है कि इतनी अधिक संख्या में एसएसपी ऑफिस में फरियादियों की भीड़ क्यों आ रही है? इसके संदर्भ में पुलिस अधिकारी संबंधित थानों से पूछताछ करते हैं या नहीं? यह वरिष्ठ अधिकारियों की समीक्षा का सवाल है।

एसएसपी ऑफिस में प्रार्थना पत्रों का स्थिति
21 जून को 71, 22 जून को 51, 23 जून को 72, 24 जून को 10, 26 जून को 107, 27 जून को 95, 29 जून को 71, 30 जून को 51  तथा तीन जुलाई को 135 प्रार्थना पत्र आये हैं।

प्रकरण-1 : छजलैट थाने से निराश होकर कुचावली गांव के धर्मेंद्र दूसरी बार एसएसपी ऑफिस पहुंचे थे। बताया, इससे पहले भी वह 26 मई को एसएसपी ऑफिस में प्रार्थना पत्र लगाए थे लेकिन, सुनवाई नहीं हुई तो सोमवार को दोबारा आए हैं। इससे पहले 20 मई को थाने पर प्रार्थना पत्र दिया, वहां सुनवाई नहीं हुई, इसलिए जिले पर दौड़ लगा रहे हैं। इनकी समस्या खेत में बोई गन्ने की फसल को विपक्षी द्वारा जोत कर नष्ट कर दिए जाने की है। इस मामले में वह अपने ताऊ व उनके बेटे पर आरोप लगा रहे हैं।

प्रकरण-2 : छजलैट थाने के खुशहालपुर की जाहिजा 12.30 बजे के दौरान एसएसपी ऑफिस में प्रार्थना पत्र  लिए खड़ी थीं। बताया, उनकी बेटी का रविवार को निकाह था। विदाई के बाद रात को गांव के कुछ लोग घर में घुस आए। मेहमान लड़कियों से अश्लील हरकतें करने लगे। बीच-बचाव करने आए मेहमान राशिद व बिलाल को डंडों से मारा पीटा। थाने जाने पर जान से मारने व लड़कियों को उठा ले जाने की धमकी भी दी। थाने से पुलिस आई, पर सुनवाई नहीं हुई। घायलों का मेडिकल कराने अस्पताल गए तो वहां भी विरोधी पहुंच गए।

प्रकरण-3 : मझोला थाना क्षेत्र की एकता कॉलोनी निकट सरगम मेडिकल लाइनपार की गायत्री देवी एसएसपी ऑफिस में लगी लाइन में खड़ी थीं। गायत्री अपनी बेटी के ससुराल वालों से दुखी हैं। 27 अप्रैल 2022 को बेटी की शादी बिजनौर जिले के धामपुर में शालू चौहान से की थी। कुछ समय बाद ससुराल वाले कार व दो लाख रुपये नकद मांगने लगे। मांग पूरी नहीं हुई तो घर से भगा दिया। इस मामले में गायत्री ने पूर्व में महिला थाना में अर्जी दाखिल की थी। सुनवाई नहीं हुई तो अब उन्होंने एसएसपी ऑफिस की दौड़ शुरू की है।

प्रकरण-4 : कुंदरकी के जलालपुर खास की गुड़िया (बदला नाम) थाने से निराश होकर एसएसपी ऑफिस पहुंची थीं। बताया, उसे बाकीपुर गांव के युवक ने प्रेमजाल में फंसा लिया। दोनों में पति-पत्नी की तरह रिश्ते भी हो गए। दोनों परिवार निकाह के लिए राजी भी हो गए। 18 मई को लड़के पक्ष के लोग युवती की के घर आए और सहमति से दो जुलाई को निकाह होना तय हो गया। बरात के दिन लड़की पक्ष के घर मेहमान भी आ गए, लेकिन पूरा दिन बीता बरात नहीं आई। दूल्हे के गांव जाकर देखा उसके घर के दरवाजे पर ताला जड़ा है। गुड़िया का कहना है कि कुंदरकी थाने में प्रार्थना पत्र दिया, मगर मदद नहीं मिली।

कई दिनों से अवकाश था। इसलिए सोमवार को फरियादियों की भीड़ अधिक लग रही है। ऑफिस में आने वाली प्रत्येक प्रार्थना पत्र की सुनवाई और निस्तारण की समीक्षा भी करते हैं। जिस थाने से ढिलाई की बात सामने आती है तो पूछताछ भी करते हैं। हर पीड़ित को न्याय मिले, इसे ध्यान में रखते हैं।- हेमराज मीना, वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक

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