Tanakpur News: पांचवें दिन भी नहीं खुला पूर्णागिरि मार्ग, श्रद्धालु परेशान, जानें कब तक खुलेगा प्रभावित मार्ग

Tanakpur News: पांचवें दिन भी नहीं खुला पूर्णागिरि मार्ग, श्रद्धालु परेशान, जानें कब तक खुलेगा प्रभावित मार्ग

टनकपुर, अमृत विचार। क्षेत्र और पहाड़ों में हो रही बरसात से एक ओर जहां जन-जीवन खासा प्रभावित हो गया है, वहीं बाटनागाड़ में आ रहे भारी मलबा और बोल्डर के कारण पूर्णागिरि मार्ग पांचवें दिन शनिवार को भी नहीं खुल पाया। जिस कारण मां पूर्णागिरि धाम में आने जाने वाले श्रद्धालुओं को भारी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। 

पिछले 5 दिनों से मार्ग के नहीं खुलने से पूर्णागिरि क्षेत्र और उससे लगे ग्रामीण क्षेत्रों में भी खाद्यान्न व अन्य संकट गहराने लगा है। इससे लोगों की दिक्कतें बढ़ती जा रही हैं। वहीं, दूसरी ओर अभी भी खासकर उत्तर प्रदेश के विभिन्न स्थानों से श्रद्धालु मां पूर्णागिरि धाम के दर्शन को आ रहे हैं। लेकिन वे ककराली गेट से आगे नहीं बढ़ पा रहे हैं। 

सुरक्षा की दृष्टि से ककराली गेट बैरियर के पास ही पुलिस प्रशासन द्वारा उन्हें रोका जा रहा है। पूर्णागिरि मार्ग बंद होने से श्रद्धालु दूर से ही मां पूर्णागिरि धाम को नमन कर आशीर्वाद मांग रहे हैं। मां पूर्णागिरि धाम के दर्शन ना होने के कारण बाहर से आ रहे श्रद्धालु पड़ोसी देश नेपाल के महेंद्र नगर और ब्रह्मदेव मंडी स्थित सिद्धनाथ मंदिर के दर्शन कर रहे हैं। 

इधर, पांच दिनों से बंद पड़े इस मार्ग को शीघ्र खोलने के प्रयास तेज करने के लिए जिलाधिकारी नरेंद्र सिंह भंडारी ने अधिकारियों को दिशा निर्देश दिए हैं।  जनपद चम्पावत में अभी भी रुक-रुक कर हो रही वर्षा से जिले के कई क्षेत्रों में सड़क बाधित व जलभराव की स्थिति उत्पन्न हो रही है। 

इधर, पूर्णागिरि मार्ग को सुचारू करने के लिए उपजिलाधिकारी सुंदर सिंह, तहसीलदार पिंकी आर्या, लोनिवि की कनिष्ठ अभियंता तनुजा देव समेत तमाम अधिकारी जुटे हुए हैं।   लोनिवि की कनिष्ठ अभियंता तनुजा देव ने बताया कि क्षेत्र में हो रही लगातार बारिश से बाटनागाड़ में बोल्डर व मलबा सड़क में आ रहा है। मार्ग को खोलने के 2 पोकलैंड व 2 जेसीबी तथा 5 डंपर लगाए गए हैं। 

बार-बार हो रही बरसात से मार्ग को सुचारू करने में काफी दिक्कतें आ रही है। दूसरी ओर शनिवार को टनकपुर पिथौरागढ़ राष्ट्रीय राजमार्ग सुचारू रहा। इधर क्षेत्र में हो रही बरसात जिले के मैदानी क्षेत्र टनकपुर और बनबसा ग्रामीण क्षेत्रों के काश्तकारों की धान की रोपाई के लिए फायदेमंद बताई जा रही है।

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