Muharram 2023 : शिया बाहुल्य इलाकों में गूंजने लगी या हुसैन की सदाएं
अयोध्या, अमृत विचार। गुरुवार को मोहर्रम की पहली तारीख से शिया बाहुल्य इलाकों में या हुसैन की सदाएं गूंजने लगी हैं। इसी के साथ ही प्रमुख रूप से दस दिनों तक चलने वाले मोहर्रम को लेकर जुलूसों का सिलसिला भी देर रात से शुरू हो जायेगा। शोक के रूप में मनाए जाने वाले मोहर्रम को लेकर ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों ने कर्बला के 72 शहीदों की याद में मजलिसों और मातम का दौर शुरू कर दिया है।
बता दें कि हज़रत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम और उनके साथ 72 साथियों को कर्बला में इसलिए शहीद कर दिया गया था कि उन्होंने उस वक्त के जुल्मी बादशाह यजीद की बैयत यानि दिशा-निर्देश मानने से इंकार कर दिया था। हजरत इमाम हुसैन अलैहिस्सलाम ने कहा था कि मै शहीद होना पंसद करुंगा मगर तुझ जैसे जालिम और इस्लाम को न मानने वाले के अधीन नहीं रहूंगा। इसी के शोक में दो माह आठ दिन मोहर्रम मनाया जाता है लेकिन मुख्य रूप से पहली से दस मोहर्रम की तारीखें अहम मानी जाती हैं।
गुरुवार को पहली मोहर्रम पर राठहवेली, इमामबाड़ा जवाहर अली खां, हसनूकटरा, हैदरगंज, खवासपुरा, कश्मीरी मोहल्ला समेत अन्य इलाकों में मजलिसों का दौर शुरू हो गया है। सिलसिले की यह मजलिसें लगातार दस दिनों तक चलेगीं। वहीं बुधवार को मोहर्रम की चांद रात को शिया समुदाय के घरों में इमामबाड़ा सजा दिया गया है। महिलाओं ने चूड़ियां इमामबाड़े में अर्पित कर शोक मनाना शुरू कर दिया है। ग्रामीण क्षेत्रों में भी रुदौली, बड़ागांव, भदरसा, सोहावल आदि में मोहर्रम को लेकर शिया अजादार गमे हुसैन में डूब गए हैं।
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