बरेली: सत्यापन और अभियान चलते रहे...फिर भी शत्रु संपत्ति पर हो गया कब्जा

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Published By Vishal Singh
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शत्रु संपत्ति अभिरक्षक कार्यालय से जारी हुआ पत्र, प्रशासन में मची खलबली

अनुपम सिंह/बरेली, अमृत विचार। भू-माफिया पर कार्रवाई करने के तमाम दावों से इतर हकीकत यह है कि जिले के अफसर सरकारी जमीन को ही कब्जा मुक्त नहीं रख पा रहे हैं। आंवला तहसील में शत्रु संपत्ति की जमीन पर कब्जा कर लिया गया मगर जिम्मेदार अनजान बने रहे। जिला मूल्यांकन समिति की रिपोर्ट पर शत्रु संपत्ति अभिरक्षक कार्यालय से जारी हुए पत्र से कब्जे का खुलासा हुआ तो जिला प्रशासन में खलबली मच गई।
मुख्य पर्यवेक्षक ब्रिगेडियर अरविंदम की ओर से भेजे गए पत्र के मुताबिक आंवला तहसील के अवादानपुर गांव में शत्रु संपत्ति की जमीन गाटा संख्या 71, 74, 72, 75 पर कब्जा है। यह जमीन विशेष समुदाय की महिला की थी लेकिन उसके पाकिस्तान चले जाने के बाद यह जमीन सरकार के अधीन आ गई।

जानकारों के मुताबिक इस जमीन के मुद्रीकरण के लिए ईपीडीसी (शत्रु संपत्ति निवारण समिति) को प्रस्ताव सौंपा गया है। इस पर जुलाई के इसी सप्ताह में निर्णय लिया जाना है। शत्रु संपत्ति निवारण समिति के सामने उन्हीं संपत्तियों का चयन होता है, जो पूरी तरह खाली होती है। मुख्य पर्यवेक्षक के पत्र में कहा गया कि डीवीसी (जिला मूल्यांकन समिति) की रिपोर्ट में संबंधित जमीन पर कब्जा दर्शाया गया है। मुख्य पर्यवेक्षक ने मामले की जल्द से जल्द विस्तृत जांच रिपोर्ट मांगी है।

मुख्य पर्यवेक्षक ने इन बिंदुओं पर मांगी जांच रिपोर्ट

  • शत्रु संपत्तियों पर कब से कब्जा है।
  • जमीन पर किस तरह का कब्जा किया गया है।
  • मौजूदा समय में कब्जे की क्या स्थिति है।

स्पष्ट बताए जिला प्रशासन...मुद्रीकरण की प्रक्रिया में हटेगा कब्जा
जारी किए गए पत्र में कहा गया है कि शत्रु संपत्ति पर कब्जा होने की वजह से विमुद्रीकरण करने के मामले में देरी हो रही है। ऐसे में संपत्ति की मौजूदा स्थिति के बारे में पूरी तरह से स्पष्ट करते हुए जल्द से जल्द रिपोर्ट शत्रु संपत्ति अभिरक्षक कार्यालय लखनऊ को भेजी जाए, जिससे विमुद्रीकरण के कार्य को पूरा किया जा सके। डीएम के नाम जारी पत्र में यह भी कहा गया है कि जिन बिंदुओं पर जानकारी मांगी गई है, उसकी पूरी और स्पष्ट जानकारी दी जाए। यही नहीं, यह भी बताना होगा कि अगर कब्जा है तो मुद्रीकरण की प्रक्रिया के दौरान हटा दिया जाएगा।

यह होती है शत्रु संपत्ति की जमीन
भारत-पाक और भारत-चीन की जंग के बाद काफी संख्या में नागरिक पाकिस्तान और चीन में जाकर बस गए। इसके बाद वे वहीं के नागरिक बन गए हैं। हिंदुस्तान के समय 1947 में लोग ताे चले गए, लेकिन उनकी जमीन यहीं रह गई। उन्हीं जमीनों को शत्रु संपत्ति का नाम दिया गया। केंद्र सरकार ने शत्रु संपत्ति घोषित किया है। इसका स्वामित्व केंद्र सरकार के पास होता है। केंद्र सरकार सभी प्रदेशों में शत्रु संपत्ति चिह्नित करके डीएम काे सूची भेजती है। तहसीलों में इसकी पहचान भी शत्रु संपत्ति के नाम से है। जानकारों की माने तो यह सरकारी संपत्ति की तरह प्रयोग होती है। मालिकाना हक जिला प्रशासन का रहता है।

मामले को सोमवार को दिखवाता हूं। इस संबंध में डीएम से बात करके कब्जा खाली कराया जाएगा। शत्रु संपत्ति की जमीन पर किसी काे कब्जा नहीं करने दिया जाएगा-गोविंद मौर्या, एसडीएम आंवला।

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