प्रयागराज : वाणिज्यिक बिजली दरें अधिवक्ताओं के चेंबरों पर लागू नहीं

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Published By Pradumn Upadhyay
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अमृत विचार, प्रयागराज । इलाहाबाद हाईकोर्ट ने व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर लागू बिजली की दरों को अधिवक्ताओं के चैंबरों पर भी लागू करने से असहमति जताई। कोर्ट का मानना है कि अधिवक्ताओं द्वारा की जाने वाली गतिविधियां व्यावसायिक गतिविधि में नहीं आती हैं और व्यावसायिक प्रतिष्ठानों पर लागू बिजली की दरें अधिवक्ताओं के चैंबरों पर लागू नहीं की जा सकती हैं।

उक्त आदेश न्यायमूर्ति सूर्य प्रकाश केसरवानी और न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता की खंडपीठ ने पारित किया। कोर्ट का कहना है कि एक अधिवक्ता न्यायालय के अधिकारी के रूप में कार्य करने के लिए कर्तव्यबद्ध होता है। एक अधिवक्ता के कोई भी व्यवसाय करने या किसी भी व्यवसायिक गतिविधि में शामिल होने पर प्रतिबंध होता है। इसके साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि यह सभी विशेषताएं कानूनी पेशे को व्यापार या व्यवसाय से अलग करती हैं, इसलिए कानूनी पेशे को किसी भी प्रकार से व्यवसायिक गतिविधि, व्यापार या व्यवसाय नहीं कहा जा सकता है।

मालूम हो कि अधिवक्ताओं के चेंबर पर व्यावसायिक बिजली दरें लागू करने के खिलाफ तहसील बार एसोसिएशन, सदर तहसील परिसर, गाजियाबाद ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। याची के अधिवक्ता का तर्क है कि अधिवक्ता का पेशा कोई व्यावसायिक गतिविधि नहीं है। न्याय प्रशासन में भूमिका निभाकर अधिवक्ता समाज की सेवा करते हैं।

यूपी विद्युत नियामक आयोग द्वारा पहले न्यायपालिका के घरेलू उपयोगकर्ताओं से एलएमवी-1 के तहत शुल्क लिया जा रहा था। इस तरह से राज्य के विभिन्न हिस्सों में अलग-अलग दरों को लागू करना मनमाना और भेदभावपूर्ण था। इस पर यूपी पावर कॉरपोरेशन के अधिवक्ता ने कहा कि वित्तीय वर्ष 2022-23 के लिए दर अनुसूची के खंड 13 के अनुसार वकीलों की गतिविधि गैर घरेलू उद्देश्यों के अंतर्गत आती है, इस कारण अधिवक्ताओं के चैंबरों में एलएमवी-2 की दरें लागू होंगी।

अंत में कोर्ट ने सुप्रीम कोर्ट के फैसले पर भरोसा करते हुए कहा कि कानूनी पेशा प्रकृति में गैर व्यावसायिक है और अधिवक्ताओं से वाणिज्यिक टैरिफ दरें नहीं ली जा सकती हैं। एलएमवी-2 की दरें केवल गैर घरेलू उपयोगकर्ताओं पर लागू होती हैं। अतः इसे अधिवक्ताओं के चैंबरों पर लागू नहीं किया जा सकता है। कानूनी पेशे के लिए एलएमवी-1 की दरें ही लागू होंगी।

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