कालाढूंगी: निहाल नदी में बह गया शिक्षक, पत्थर पकड़कर जान बचाई 

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Published By Bhupesh Kanaujia
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कालाढूंगी, अमृत विचार। धापला गांव से पहले पड़ने वाली निहाल नदी में सोमवार को हाईस्कूल के एक शिक्षक तेज बहाव में फिसलकर बहने लगे। साथियों ने बमुश्किल उन्हें बचाया।

रोज की तरह शिक्षक हरिकेश, सूरज, देवेंद्र कुमार और जानकी चुफाल बाइक से धापला जा रहे थे। नदी में पानी अधिक होने पर वह बाइक खड़ी कर पैदल ही नदी का पार करने लगे। पहाड़ों में हो रही बारिश के चलते जलस्तर बढ़ रहा था।

शिक्षक हरिकेश प्रसाद पानी का बहाव देखने के लिए नदी में उतरे तो संतुलन खोने के बाद पानी के तेज बहाव में बहने लगे। इस पर साथियों में चीख पुकार मच गई। जब काफी देर तक वो नहीं संभल पाए तो उनके साथी सूरज और देवेंद्र कुमार नदी के किनारे किनारे दौड़े। आधे किलोमीटर बहने पर उन्होंने पत्थर पकड़कर अपनी जान बचायी।

इस दौरान उन्होंने दो और पत्थरों को पकड़ा पर वो उखड़ गये। शिक्षक जैसे-तैसे तैर कर नदी के बीच टीले पर पहुंचे। स्टाफ ने जैसे-तैसे उनको नदी से बाहर निकालकर राहत की सांस ली। शिक्षक के घुटने व हाथ में चोट लगी है। 

नाले उफनाने से दहशत में आ जाते हैं ग्रामीण
कालाढूंगी। विकासखंड कोटाबाग के दूरस्थ गांव व कालाढूंगी नगर से आठ किलोमीटर दूर टापू पर बसा धापला गांव आजादी के 75 वर्ष बाद मुख्य मार्ग  व अन्य विकास से कोसों दूर है। दोनों छोर पर बह रहे नालों से तेजी से भू-कटाव से ग्रामीणों में दहशत का माहौल बना है। बरसात के दिनों में ग्रामीण गांव में ही फंस कर रह जाते हैं।

जंगल में बसा राजस्व व अंबेडकर गांव में 150 परिवार कृषि कार्य कर अपना जीवन यापन करते हैं। ग्रामीणों व जनप्रतिनिधियों ने कई बार नदी में पुल व कालाढूंगी से धापला मार्ग बनाने की मांग कर रहे हैं मगर उनकी सुध आज तक किसी ने नही ली। ग्राम प्रधान दयानंद आर्य ने बताया कि गांव की एक ओर निहाल नदी व दूसरी ओर अम्मागैर नाला से तेजी से भूकटाव हो रहा है। कई बार निहाल नदी से मुख्य मार्ग का संपर्क टूट जाता है। गर्भवती व बीमारों को ले जाने के लिए भी कई परेशानियों का सामना करना पड़ता है। 

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