सिन्धी भाषा के विद्वान लछमन हर्दवाणी का निधन, अब तक 100 पुस्तकें हो चुकी प्रकाशित
नई दिल्ली। सिन्धी भाषा के विशेषज्ञ प्रो. लछमन हर्दवाणी का महाराष्ट्र के पुणे में बुधवार को निधन हो गया। वह 90 वर्ष के थे। प्रो. हर्दवाणी को लेखक, अनुवादक, कोशकार और भाषाविद् के रूप में जाना जाता है। उनका सिन्धी, मराठी और हिंदी भाषाओं पर समान अधिकार रहा। उनकी अब तक सिन्धी, मराठी और हिंदी भाषाओं में 100 पुस्तकें प्रकाशित हो चुकी हैं।
उन्होंने सिन्धी हाइकु को एक साहित्यिक विधा के रूप में लोकप्रिय बनाया। उन्हें मराठी से सिन्धी में अनुवाद करने के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार भी प्रदान किया गया था। अविभाजित भारत के सिन्ध प्रांत में जन्मे प्रो हर्दवाणी विभाजन के बाद अपने माता-पिता के साथ पुणे आ गये।
पुणे से एम.ए. करने के बाद वह अहमदनगर कॉलेज में हिन्दी के प्राध्यापक बन गये। प्रो. हर्दवाणी ने ज्ञानेश्वरी, दासबोध जैसी मराठी साहित्यिक कृतियों का सिन्धी भाषा में अनुवाद किया। वह अहमदनगर सिन्धी एजुकेशन सोसाइटी के पूर्व प्रबंधन सदस्य थे। वह अहमदनगर कॉलेज में हिन्दी के प्राध्यापक थे। उन्होंने ज्ञानेश्वरी का सिन्धी भाषा में अनुवाद किया।
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