Mahoba News: मांगों को लेकर किसानों ने धरना प्रदर्शन कर जताया विरोध, आरपार की लड़ाई लड़ने का दिया अल्टीमेटम
महोबा में मांगों को लेकर किसानों ने धरना प्रदर्शन कर जताया विरोध।
महोबा में मांगों को लेकर किसानों ने धरना प्रदर्शन कर विरोध जताया। धरना स्थल पर किसानों ने मांगे पूरी न होने पर आरपार की लड़ाई लड़ने का अल्टीमेटम दिया।
महोबा, अमृत विचार। बुंदेलखंड के किसान यूनियन के बैनर तले भारी संख्या में किसानों ने अपनी मांगों के समर्थन में तहसील में प्रदर्शन कर जोरदार विरोध जताया। बाद में धरने पर बैठ गए, जहां पर किसानों ने सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी करते हुए अपनी आवाज बुलंद की। किसान नेताओं ने मांगे न पूरी होने पर आरपार की लड़ाई लड़ने का निर्णय लिया और धरना देकर विरोध जताया। धरना दौरान किसानों में खासा आक्रोश दिखाई दिया।
बुंदेलखंड किसान यूनियन के प्रदेश संगठन प्रभारी बालाजी ने धरने को संबोधित करते हुए कहा कि सरकार किसानों की बैंकों में जमा पैसों से आटोमेटिक प्रीमियम काट लेती हैै, जिससे किसानों का फसल बीमा हो जाता है। इसके बाद भी किसान कोई आपत्ति नहीं जताता है, लेकिन किसानों की खराब होने पर उन्हें मुआफजा राशि नहीं दी जाती और किसान बीमा की धनराशि के लिए अधिकारियों और बीमा कंपनी में चक्कर काटकर घर बैठ जाता है।
उन्होंने कहा कि किसानों के साथ हो रही इस ज्यादती को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। कहा कि सरकार बीमा की राशि न देने वाली कंपनियों के खिलाफ कार्रवाई करे। अब किसान आरपार की लड़ाई लड़ने के लिए धरने पर बैठ गया है।
बुंदेलखंड किसान यूनियन के पंकज तिवारी ने कहा कि किसानों की अतिवृष्टि ओलावृष्टि और सूखे के चलते फसल बर्बाद हो जाती है, लेकिन बीमा होने के बाद भी उन्हें बीमा की धनराशि नहीं दी जाती है, जिससे किसान अब लड़ाई लड़ने का मन बना चुका है। कहा कि सरकार द्वारा न्यूनतम समर्थन मूल्य पर खरीदी गई फसलों चना, लाही, मसूर का 70 दिन बाद भी भुगतान नहीं किया गया है, अब किसानों का भुगतान ब्याज सहित दिया जाए।
उन्होंने कहा कि सरकारी केंद्रों में विचैलियों का भारी मात्रा में माल खरीदा गया। जिस व्यक्ति के खिलाफ अवैध खरीद की शिकायत की गई थी, उसी को जून में सरकारी केंद्र दे दिया गया, इसकी जांच कराकर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की जाए। कहा कि बुवाई न हो पाने के कारणों को आपदा मानते हुए जिले के किसानों की आर्थिक सहायता की जाए। इस मौके पर किसान नेता गुलाब सिंह राजपूत, वंशगोपाल यादव, रामप्रसाद सहित तमाम किसान मौजूद रहे।
