प्रयागराज : जिहादी व्हाट्सएप ग्रुप चलाने वाले लश्कर के सहयोगी की जमानत याचिका खारिज

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Published By Virendra Pandey
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प्रयागराज, अमृत विचार। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने लश्कर-ए-तैयबा के कथित सहयोगी इनामुल हक उर्फ इनामुल इम्तियाज को जमानत देने से इनकार कर दिया। पिछले साल यूपी पुलिस के आतंकवाद-रोधी दस्ते (एटीएस) ने उसे नफरत फैलाने, धार्मिक पूर्वाग्रहों को बढ़ावा देने के आरोप में गिरफ्तार किया था। 

आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोपों पर न्यायमूर्ति पंकज भाटिया की एकलपीठ ने विचार करते हुए कहा कि अनुच्छेद 19 के तहत धर्म का अभ्यास और प्रचार करने का अधिकार है, लेकिन मौजूदा मामले में अपराध की गंभीरता को देखते हुए आरोपी को जमानत देना उचित नहीं है। गौरतलब है कि आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 121ए, 153ए और आईटी अधिनियम की धारा 66 के तहत सहारनपुर जिले के देवबंद पुलिस स्टेशन में प्राथमिकी दर्ज की गई थी। प्राथमिकी में दर्ज तथ्यों के अनुसार आरोपी एक व्हाट्सएप ग्रुप चलाता था, जिस पर वह जिहादी साहित्य और वीडियो अपलोड करता था।

आरोपी ने स्वयं यह स्वीकार किया है कि वह जिहादी बनना चाहता था और लश्कर के समूह से जुड़ा था। पिछले 15-16 सालों से वह जो व्हाट्सएप ग्रुप चला रहा है, उसमें कुल 181 सदस्य हैं, जिनमें से 170 सदस्य पाकिस्तान के और 6 सदस्य भारत से भी जुड़े हैं। अभियुक्त पर आगे यह भी आरोप लगाया गया है कि वह हथियारों के अधिग्रहण को बढ़ावा देने तथा धार्मिक पूर्वाग्रह के आधार पर समूह को बढ़ावा देने में भी शामिल था। आरोपी के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि आरोपी के खिलाफ आईपीसी की धारा 121 ए के तहत कोई मामला नहीं बनता है, साथ ही उस पर लगाए गए आरोपों में केवल 5 साल की सजा हो सकती है। अंत में सभी परिस्थितियों और आरोपों की गंभीरता को देखते हुए अदालत ने मौजूदा जमानत अर्जी खारिज कर दी।

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