मनरेगा: साढ़े पांच लाख का गबन, 17 हजार की वसूली कर निपटा दिया

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Published By Vishal Singh
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भ्रष्टाचार पर नो टॉलरेंस का हाल : डीसी मनरेगा के कई आदेशों को बीडीओ ने कर दिया नजरंदाज

बरेली, अमृत विचार। मामला सिर्फ 5.43 हजार के गबन का है लेकिन सरकारी सिस्टम पर बड़े सवाल खड़े कर रहा है। यह गबन डीसी मनरेगा की जांच में साबित हुआ था, जिसके बाद बीडीओ को इसकी वसूली करने का आदेश दिया गया था लेकिन बीडीओ ने उच्चाधिकारी के वसूली के आदेश का पालन करने के बजाय खुद जांच की मामला सिर्फ 17 हजार रुपये की वसूली करके निपटा दिया। तत्कालीन डीसी मनरेगा ने बीडीओ को कई बार रिमाइंडर जारी किए थे लेकिन उनके ट्रांसफर के बाद अब यह मामला डंप हो गया है।

बहेड़ी ब्लॉक के उतरसिया महोलिया गांव में हुआ गबन का यह मामला उदाहरण बना हुआ है कि भ्रष्टाचार पर नो टॉलरेंस की सरकार की नीति का ग्रामीण विकास के सिस्टम में किस तरह पालन किया जा रहा है। इस मामले में मनरेगा के तहत होमगार्ड, बुजुर्गों और छात्रों को ही नहीं, दूसरे राज्यों के तमाम लोगों के नाम पर 5.43 लाख की रकम हड़प ली गई थी। इस गोलमाल की गांव के ही मनोज कुमार के शिकायत करने के बाद तत्कालीन डीसी मनरेगा गंगाराम वर्मा ने बीडीओ को जांच का आदेश दिया। बीडीओ ने इसके बाद भी जांच शुरू नहीं कराई तो उन्हें कई रिमाइंडर भेजे गए। इन पर भी बीडीओ की ओर से कोई जवाब नहीं मिला तो हारकर डीसी मनरेगा ने खुद जांच की। इसमें गबन की पुष्टि हो गई।

डीसी मनरेगा ने इसके बाद फर्जी लाभार्थियों की सूची भेजने के साथ बीडीओ को गबन की गई धनराशि की वसूली करने का आदेश दिया, इसके बाद चार रिमाइंडर भी भेजे लेकिन बीडीओ न वसूली की न ही कोई जवाब दिया। डेढ़ महीने पहले गंगाराम वर्मा का ट्रांसफर होने के बाद पूरा मामला ही डंप हो गया। अब बीडीओ गरिमा सिंह का कहना है कि डीसी मनरेगा की ओर से भेजी गई सूची में छात्रों और एक होमगार्ड समेत कई नाम शामिल थे। उन सभी की जांच की गई तो उनमें कुछ ही अपात्र मिले। इनके नाम पर करीब 17 हजार रुपये का फर्जी भुगतान हुआ था। इस धनराशि की वसूली प्रधान और तत्कालीन सचिव विशाल से कर ली गई है। सचिव को नोटिस भेजकर जवाब भी मांगा है।

बिना काम कराए हड़प लिए साढ़े 3.41 लाख, अब ग्राम प्रधान और सचिव से होगी वसूली
ग्राम पंचायतों में सीसी रोड और सड़कों की इंटरलॉकिग में जमकर खेल हो रहा है। भुता ब्लॉक के गांव दौलतपुर करैना के गुड्डू सिंह ने पांच महीने पहले निदेशक पंचायती राज को पत्र भेजकर निवर्तमान ग्राम प्रधान दीप शिखा और तत्कालीन सचिव पर सीसी रोड और इंटरलॉकिंग में भ्रष्टाचार करने की शिकायत की थी।

डीएम ने जिला कार्यक्रम अधिकारी और ग्रामीण अभियंत्रण विभाग के एक्सईएन से जांच कराई तो आरोप सच निकले। इंटरलॉकिंग और सीसी रोड बनाए बगैर 3.41 लाख रुपये निकालने की पुष्टि के बाद डीएम ने तत्कालीन प्रधान और सचिव से इस धनराशि की वसूली का आदेश दिया है। डीपीआरओ धर्मेंद्र कुमार ने बताया कि तत्कालीन प्रधान और सचिव से वसूली के लिए नोटिस जारी कर दिया है। दोनों से जवाब भी मांगा गया है।

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