धरना असंवैधानिक, अलोकतांत्रिक और मूर्खतापूर्ण : जगद्गुरु रामभद्राचार्य

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Published By Jagat Mishra
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चित्रकूट, अमृत विचार। जगद्गुरु स्वामी रामभद्राचार्य का मानना है कि श्री तुलसी प्रज्ञाचक्षु दिव्यांग उच्चतर माध्यमिक विद्यालय कामता चित्रकूट (सतना) के शिक्षकों और कर्मचारियों का धरना प्रदर्शन मूर्खतापूर्ण और असंवैधानिक के साथ अलोकतांत्रिक है। उन्होंने कहा कि मप्र शासन में कोई ऐसा संविधान ही नहीं कि किसी प्राइवेट संस्था को सरकार को दिया जा सके। 

गौरतलब है कि विद्यालय को मप्र सरकार के अधीन दिए जाने को लेकर विद्यालय के शिक्षक और कर्मचारी 20 अगस्त से धरने पर बैठे हैं। इनका कहना है कि जगद्गुरु ने ही उन लोगों को विद्यालय सरकार को देने की बात कही थी और अब विद्यालय समिति उपाध्यक्ष रामचंद्र दास उर्फ जय मिश्रा और कुछ अन्य लोगों के बहकावे में आकर वह अपने फैसले से हट गए हैं। विवाद बढ़ने पर मंगलवार को स्वयं जगद्गुरु ने अपनी बातें बताईं। उन्होंने कहा कि उनके दबाव में आकर मप्र शासन ने बीच का रास्ता निकाला था और यह कहा था कि इसका संचालन ग्रामोदय विवि के अधीन कर दिया जाएगा। 

उन्होंने बताया कि उन्होंने भी पंद्रह अगस्त को इसकी घोषणा कर दी थी। जगद्गुरु का कहना है कि इसके बाद सहसा उनके मन में आया कि उन्होंने अपनी कथाएं करके यह जमीन खरीदी है तो सरकार को क्यों दूं। उन्होंने कहा कि मैं शपथपूर्वक कहता हूं कि इसमें युवराज (रामचंद्र दास) का कोई हाथ नहीं, कोई दबाव नहीं। उन्होंने कहा कि उनकी संपत्ति पर कोई नजर नहीं रख सकता। ऐसे लोगों से निपटना उनको आता है। उन्होंने कहा कि यह आंदोलन पूरी तरह से गैरकानूनी है पर दिव्यांग मेरे माहेश्वर हैं। कब तक सहन करूं, कुछ सोचूंगा। बच्चों का पठनपाठन बाधित हो रहा है। उधर, विद्यालय के शिक्षकों व कर्मचारियों का अनशन मंगलवार को भी जारी रहा। 

मैं धृतराष्ट्र नहीं, न युवराज दुर्योधन
गौरतलब है कि स्वामी रामभद्राचार्य पर युवराज रामचंद्र दास के मोह के आरोप लगते रहे हैं। इस पर उन्होंने कहा कि न तो वह धृतराष्ट्र हैं और न युवराज दुर्योधन। उन्होंने कहा कि यह तो उनकी जमीन है और वह जो चाहे कर सकते हैं।

शिक्षकों को कोई फायदा नहीं होगा
जगद्गुरु ने कहा कि सरकार के आधीन होने के बाद भी शिक्षकों और कर्मचारियों को कोई लाभ नहीं होने वाला। वे संविदा में हैं और संविदा में ही रहते। दावा किया कि जितना वेतन वह दे रहे हैं, उतना किसी अन्य निजी स्कूल में नहीं दिया जाता। 

प्रधानाचार्या सेवानिवृत्त, फिर भी दे रहे वेतन
उन्होंने कहा कि विद्यालय की प्रधानाचार्या सेवानिवृत्त हो चुकी हैं। इसके बाद भी वह उनको वेतन दे रहे हैं। वह तो गैरकानूनी रूप से अनशन कर रही हैं।

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