निपुण भारत मिशन
यह एक अकाट्य तथ्य है कि जिस देश की शिक्षा प्रणाली समृद्ध होती है, वह देश भी समृद्धशाली होता है। शिक्षा द्वारा ही स्वस्थ समाज की नींव डाली जा सकती है। शिक्षा ही एक ऐसा माध्यम है जिससे व्यक्ति में सामाजिकता की भावना आती है। मजबूत शिक्षा की नींव व्यक्ति के जीवन में प्राथमिक स्तर से ही पड़ती है, इसलिए बच्चे की मजबूती के लिए प्राथमिक स्तर की शिक्षा का समृद्ध होना बहुत आवश्यक है।
सरकारें भी प्राथमिक स्तर की शिक्षा के लिए संवेदनशील रहती हैं। इसी को समझते हुए भारत सरकार द्वारा निपुण भारत मिशन योजना संचालित की जा रही है। इस योजना का उद्देश्य आधारभूत साक्षरता एवं संख्यात्मकता के ज्ञान से छात्रों को परिपूर्ण करना है। साथ ही इसके माध्यम से सन्् 2026-27 तक प्रत्येक बच्चे को तीसरी कक्षा के अंत तक पढ़ने, लिखने एवं अंकगणित सीखने की क्षमता प्रदान की जाएगी, जो उनको शिक्षा के क्षेत्र में आगे बढ़ने में मदद करेगी।
निपुण भारत मिशन का कार्यान्वयन स्कूल शिक्षा और साक्षरता विभाग द्वारा किया जा रहा है।
यह बात सही है कि सरकारें शिक्षा संबंधी ऐसी तमाम योजनाएं चलाती हैं जिससे मजबूत नींव पड़ सके। सरकारों को यह भी प्रयास करने चाहिए कि योजना का लाभ सुचारू रूप से पात्रों तक पहुंचाया जा सके। इसके लिए सरकार को व्यवस्था का आधारभूत ढांचा मजबूत करना बहुत आवश्यक है।
जैसे मिशन की सफलता के लिए स्कूलों में पर्याप्त शिक्षकों का होना बहुत आवश्यक है। गौरतलब है कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के अनुसार कक्षा एक से पांच तक 60 बच्चों पर दो शिक्षक रखने का प्रावधान है। वहीं 61 से 90 बच्चों पर तीन शिक्षक तथा 91 से 120 बच्चों पर चार शिक्षक होने चाहिए।
इसी प्रकार 121 से 200 छात्र संख्या रहने पर पांच शिक्षक रखने का प्रावधान है और कक्षा छह से आठ के लिए विज्ञान व गणित का एक शिक्षक, सामाजिक अध्ययन का एक शिक्षक और भाषा के एक शिक्षक का होना अनिवार्य है। 35 छात्रों पर कम से कम एक शिक्षक होना ही चाहिए, लेकिन वर्तमान में प्राथमिक स्तर के विद्यालयों में शिक्षकों की बहुत कमी है।
सिर्फ उत्तर प्रदेश की बात करें तो डेढ़ लाख से भी ऊपर पद प्राथमिक स्तर पर खाली हैं। स्थिति तो यह है कि किसी-किसी विद्यालय में 100 बच्चों पर एक या दो शिक्षक ही हैं। ऐसे में योजना की सफलता पर प्रश्नचिन्ह लगना स्वाभाविक है। अत: सरकार को समझना होगा कि निपुण भारत मिशन के तहत शिक्षार्थी तभी निपुण बनेंगे ,जब शिक्षकों की कमी पूरा करने के साथ-साथ योजना क्रियान्वयन उचित तरह से हो।
