इलाहाबाद हाईकोर्ट: प्रतिकूल प्रविष्टि के आधार पर पदोन्नति नहीं की जा सकती रद्द

Amrit Vichar Network
Published By Deepak Mishra
On

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने न्यायिक अधिकारी सुनील कुमार सिंह (तृतीय) के सेवा रिकॉर्ड में की गई प्रतिकूल प्रविष्टि को रद्द कर दिया और उत्तर प्रदेश हायर ज्यूडिशल सर्विस (यूपीएचजेएस) 2015 से पूर्व व्यापी प्रभाव से उन्हें पदोन्नति देने का निर्देश दिया है। उक्त आदेश न्यायमूर्ति डॉ कौशल जयेंद्र ठाकर और न्यायमूर्ति राजीव मिश्रा की खंडपीठ ने याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया है।

कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि एक बार याची के खिलाफ की गई शिकायतें झूठी पाई गई तो याची को प्रतिकूल प्रविष्टि देने का आधार नहीं बनता है। इस प्रकार याची को दी गई प्रतिकूल प्रविष्टि को बरकरार रखना न्याय के हित में नहीं है। याचिका के तथ्यों के अनुसार याची को सिविल जज (जूनियर डिवीजन) के रूप में 23 दिसंबर 2003 को लखनऊ में तैनात किया गया था। वर्ष 2012-13 में याची को वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट में बहुत अच्छी प्रविष्टियों से सम्मानित किया गया, लेकिन वर्ष 2013-14 में तत्कालीन जिला न्यायाधीश, गाजियाबाद, जिन्हें उच्च न्यायालय में पदोन्नत किया गया था, उन्होंने याची के खिलाफ विभिन्न शिकायतों के कारण उनकी सत्यनिष्ठा को संदिग्ध बताते हुए एसीआर पर प्रतिकूल प्रविष्टि दी।

याची के अधिवक्ता ने तर्क दिया कि रिपोर्टिंग अधिकारी ने वार्षिक प्रविष्टि 7 महीने बाद दी, जबकि एक महीने की अवधि के भीतर ही उन्हें प्रविष्टि दाखिल करनी चाहिए थी। इसके साथ ही यह भी तर्क दिया गया कि याची की निष्ठा पर संदेह करने के लिए तथ्यों और प्रासंगिक कारणों का होना आवश्यक है, लेकिन याचिका लंबित रखने के दौरान निष्ठा पर संदेह होने पर उसकी पदोन्नति रोकने का निर्णय अनुचित है। दूसरी ओर विपक्षियों के अधिवक्ता इस बात से सहमत थे कि प्रतिकूल प्रविष्टि देने के लिए जिन दस्तावेजों पर भरोसा किया गया था, वह याची को कभी भी उपलब्ध नहीं कराए गए। उपरोक्त तथ्यों के आधार पर कोर्ट ने पदोन्नति का आदेश जारी कर दिया।

यह भी पढ़ें:-लखनऊ: 9 सितंबर को लोक अदालत, प्रचार वाहन रवाना

संबंधित समाचार