चित्रकूट : तहसील परिसर में धरने पर बैठे विधायक

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Published By Virendra Pandey
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चित्रकूट, अमृत विचार। पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत सपा के सदर विधायक अनिल प्रधान ने शुक्रवार को तहसील परिसर में तीन घंटे तक धरना दिया। विधायक का आरोप है कि शासन-प्रशासन द्वारा लोगों की समस्याओं पर ध्यान नहीं दिया जा रहा, जिससे असंतोष बढ़ रहा है। बाद में उन्होंने एसडीएम राजबहादुर को अपनी मांगों का 17 सूत्रीय मांगपत्र दिया। विधायक ने बताया कि एसडीएम ने जल्द ही इन पर विचार के लिए बैठक करने की बात कही है।

गौरतलब है कि प्रशासन द्वारा धारा 144 का हवाला देते हुए सदर विधायक को बड़े प्रदर्शन की अनुमति देने में असमर्थता जताई थी। इस पर अनिल प्रधान ने शुक्रवार को अकेले ही धरना देने की घोषणा की थी। वह मध्याह्न 12 बजे से तीन बजे तक तीन घंटे धरने पर बैठे। इस दौरान उनसे मिलने उनके समर्थक आते जाते रहे। विधायक ने आरोप लगाया कि लो वोल्टेज, अघोषित विद्युत कटौती से लोग परेशान हैं। फसल सूखने की कगार पर है। इसके बाद भी विद्युत चोरी के नाम पर गरीबों, कमजोरों को परेशान किया जा रहा है। विद्युतकर्मियों द्वारा फाल्ट आदि की जानकारी देने पर फोन नहीं उठाया जाता। शिकायत करने पर ग्रामीणों से अभद्रता की जाती है। शासन के सख्त निर्देशों के बाद भी नहरों में टेल तक पानी नहीं पहुंच रहा। हर वर्ष कागजों में सफाई कर लाखों रुपये खर्च कर दिए जाते हैं। सिंचाई विभाग के अधिशासी अभियंता कार्यालय में बैठकर नहरों का संचालन करते हैं। पौधरोपण में घोटाले का आरोप लगाते हुए सदर विधायक ने कहा कि कितने भी पत्र लिखिए, इन्हें फर्क नहीं पड़ता। अनिल ने मांग की कि जिले को सूखाग्रस्त घोषित किया जाए। इसके अलावा उन्होंने अन्ना पशुओं की समस्या भी उठाई। बाद में एसडीएम ने धरनास्थल पर जाकर विधायक से ज्ञापन लिया। विधायक ने बताया कि उनको आश्वासन दिया गया है कि जल्द ही प्रशासन उनके साथ बैठक कर समस्याओं का हल खोजेगा। इस दौरान विधायक ने लगातार हो रही चोरियों पर भी चिंता जताई।    

घरों से बेघर कर दिया गया लोगों को

सदर विधायक ने कहा कि परिक्रमा मार्ग, रामघाट और नगरपालिका में आने वाले अन्य इलाकों में दशकों से रह रहे लोगों को बेघर कर दिया गया। व्यापारी रोजगार से वंचित हो गए। जबकि ये लोग बाकायदा हाउस टैक्स दे रहे थे और इनका रजिस्ट्रेशन भी है। बगैर सूचना के इनको हटाया जा रहा है। उन्होंने मांग की कि नई दुकानों में इनको प्राथमिकता दी जाए।        

श्रम विभाग भी रहा निशाने पर

विधायक के निशाने पर श्रम विभाग की कार्यप्रणाली भी रही। उन्होंने ज्ञापन में आरोप लगाया है कि यहां भ्रष्टाचार का बोलबाला है। एएलसी द्वारा पांच सौ से अधिक फाइलों को बिना भुगतान किए वापस कर दिया गया। उन्होंने बताया कि जब उन्होंने इस संबंध में डीएम को बताया और जांच कराई गई तो इन्हें दोषी भी पाया गया।  उन्होंने मांग की कि जिले के तीन अधिकारियों की कमेटी बनाकर अप्रैल 22 से लेकर अब तक की मातृत्व एवं शिशु हित लाभ, शादी अनुदान आदि के संबंध में निरस्त की गई फाइलों की जांच कराई जाए। इसके अलावा एएलसी की कार्यप्रणाली के बारे में शासन को अवगत कराया जाए।

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