
अपराधिक गठजोड़
देश में चुनाव लड़ने वाली पार्टिंयों के चुनावी वादों में अपराध मुक्त समाज का वादा प्रमुख रूप से होता है। इसके अलावा किसी राज्य में कोई अपराधिक घटना हो जाने पर आसमान सर पर उठाने और उस राज्य को तुरंत जंगल राज्य की संज्ञा देने वाले माननीयों की हकीकत कुछ और ही बयां कर रही है। यह किसी से छुपा नहीं है कि सत्ता और अपराध का गठजोड़ सदैव से चला आ रहा है। चाहे पक्ष हो या विपक्ष दोनों तरफ के नेताओं का अपराधिक गठजोड़ अक्सर देखने को मिलता है।
यहां यह कहना गलत नहीं होगा कि अपराध नेता बनने की राह का पहला कदम है। हाल में आई चुनाव अधिकार निकाय एडीआर (एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स) की रिपोर्ट से इस बात की पुष्टि होती है। रिपोर्ट की माने तो करीब 40 प्रतिशत मौजूदा सासंदों के खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। वहीं इनमें से 25 प्रतिशत मामले ऐसे गंभीर अपराधों से जुड़े हैं जिनमें हत्या, हत्या की कोशिश, अपहरण, महिलाओं के खिलाफ अपराध जैसे मामले शामिल हैं।
गौरतलब है कि देश में 763 मौजूदा सांसदों हैं जिसमें से 306 ने अपने खिलाफ आपराधिक मामले दर्ज हैं। इसमें से 194 सांसदों ने गंभीर आपराधिक मामले दर्ज हैं। इसमें पक्ष-विपक्ष एवं सभी पार्टियों के सांसद शामिल हैं। इससे समझा जा सकता है कि संसद में बैठकर पक्ष-विपक्ष के सांसद आए दिन एक-दूसरे पर अराजकता और जंगल राज की स्थापना जैसे जुमलों के माध्यम से एक-दूसरे को कटघरे में खड़ा करते तो दिखते हैं, लेकिन सही अर्थों वे सब एक ही थाली के चट्टे-बट्टे प्रतीत हो रहे हैं। इससे यह बात भी स्पष्ट होती है कि देश का कायदे कानून सिर्फ आम जनता के लिए ही हैं,जबकि माननीयों के लिए वे सब कानून खिलौना हैं। एक आम आदमी को मामूली सी कानूनी धारा लगने पर ही स्कूल या कॉलेज में एडमिशन के लिए कितने पापड़ बेलने पड़ते हैं।
वहीं देश की कमान ऐसे माननीयों के हाथ में है जिन पर कई अपराधिक मामलों सहित गंभीर मामले भी दर्ज हैं। ऐसे में देश के उज्जवल भविष्य की आशा इन माननीयों से कैसे की जा सकती है? हालांकि संसद में ऐसे सांसदों की मौजूदगी के पीछे कहीं न कहीं जनता ही दोषी है। यह बात कहने में कोई गुरेज नहीं होना चाहिए कि ज्यादातर जनता का झुकाव अपनी जाति,बिरादरी और धर्म की प्रति ज्यादा रहता है।
चुनावों में यह मनोवृत्ति चरम पर देखी जा सकती है जिसका फायदा नेता लोग उठाते हैं और अपने स्वार्थ सिद्ध करते हैं। अत: को जनता को जाति-धर्म से ऊपर उठकर देश हित में माननीयों का चुनाव करना चाहिए,तभी उसकी खुद की और देश की तरक्की सुनिश्चित हो सकेगी। साथ ही देश में ऐसा कानून आना चाहिए जिसमें किसी अपराधिक मामलों के व्यक्ति को चुनाव लड़ने की अनुमति न दी जाए। तभी देश में हम स्वच्छ राजनीति और देश की तरक्की की कल्पना कर सकेंगे।
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