इलाहाबाद हाईकोर्ट: सहमति से बनाया गया रिश्ता दुष्कर्म के अपराध की श्रेणी में मान्य नहीं

इलाहाबाद हाईकोर्ट: सहमति से बनाया गया रिश्ता दुष्कर्म के अपराध की श्रेणी में मान्य नहीं

प्रयागराज। इलाहाबाद हाईकोर्ट ने दुष्कर्म के एक मामले पर सुनवाई करते हुए अपनी विशेष टिप्पणी में कहा कि परिवार की मंजूरी के साथ सहमति से बनाया गया रिश्ता आईपीसी की धारा 375 के तहत दुष्कर्म का अपराध नहीं माना जाएगा। उक्त टिप्पणी न्यायमूर्ति अनीश कुमार गुप्ता की एकल पीठ ने आईपीसी की विभिन्न धाराओं के तहत महिला थाना, संत कबीरनगर में दर्ज मामले की पूरी कार्यवाही के साथ-साथ चार्जशीट और समन आदेश को रद्द करने की मांग लेकर जियाउल्लाह द्वारा दाखिल आवेदन को स्वीकार करते हुए दिया है।

कोर्ट ने अपने आदेश में आगे कहा कि आरोपी के खिलाफ लगाए गए आरोप भले ही सही हैं ,लेकिन आईपीसी की धारा 376 के तहत कोई अपराध सिद्ध नहीं होता है, क्योंकि दोनों पक्षों के बीच संबंध सहमति से बने थे। याची का प्रारंभिक वादा झूठा नहीं था। पक्षों के बीच बाद के घटनाक्रम के कारण ही याची ने पीड़िता से शादी करने से इनकार कर दिया था। दोनों पक्षों के बीच संबंध लंबे समय से थे और पीड़िता के साथ-साथ उसके परिवार के सदस्यों को भी रिश्ते के परिणाम के बारे में पता था।

अतः इस तरह के रिश्ते का उल्लंघन आईपीसी की धारा 375 के तहत दुष्कर्म के अपराध की श्रेणी में नहीं माना जा सकता है। दरअसल पीड़िता की बहन की शादी गोरखपुर में हुई थी और आरोपी की पीड़िता से पहली मुलाकात उसकी बहन की शादी में ही हुई थी। पीड़िता जब भी अपनी बहन के घर जाती थी तो अभियुक्त से अवश्य मिलती थी। अभियुक्त भी पीड़िता के घर आता-जाता था।

पीड़िता और उसके माता-पिता ने कुछ समय बाद धन की व्यवस्था करके आरोपी को सऊदी अरब भेजा।सऊदी से वापस आने के बाद जब पीड़िता के घर वालों ने याची पर शादी का दबाव बनाया तो उसने शादी से इनकार कर दिया। पीड़िता का आरोप है कि याची ने उसकी इच्छा के विरुद्ध वर्ष 2008 से 2018 के बीच शादी का झांसा देकर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए। हालांकि कोर्ट ने अभियोजन पक्ष के तर्कों को कमजोर मानकर याची का आवेदन स्वीकार कर लिया।

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