डीएम साहब! 10 साल से लगा रहे चक्कर.. हमें मुआवजा नहीं मौत चाहिए

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Published By Moazzam Beg
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बरेली, अमृत विचार। बड़ा बाईपास के लिए जमीन देने वाले सैकड़ों किसानों को छह साल बाद भी मुआवजा नहीं मिल सका है। इससे गुस्साए किसानों ने मंगलवार को कलेक्ट्रेट परिसर में प्रदर्शन कर नारेबाजी की। कहा डीएम साहब! बिना मुआवजा दिलाए ही तत्कालीन अफसरों ने किसानों की जमीन छिनवाकर एनएचएआई के नाम करा दी, गलती प्रशासन ने की और इसका खामियाजा आज तक गरीब किसान भुगत रहे हैं। अफसरों से लेकर जनप्रतिनिधि कोई हमारी सुनने को तैयार नहीं है। इसलिए हमें अब मुआवजा नहीं सिर्फ मौत चाहिए।

15 अक्टूबर तक का समय दिया कि अगर मांग पूरी नहीं हुई तो बड़ी संख्या में किसान दामेदार पार्क या फिर पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार के भारत सेवा ट्रस्ट कार्यालय के बाहर अनिश्चितकालीन भूख हड़ताल पर बैठेंगे। डीएम के न होने पर एडीएम न्यायिक ने ज्ञापन लिया और शीघ्र ही समस्या पर विचार करने की बात कही।

अखिल भारतीय किसान महासभा के जिलाध्यक्ष हरिनंदन पटेल की अगुवाई में कलेक्ट्रेट पहुंचे किसान प्रेम सिंह, भीमसेन, राम किशोर, भगवानदास, सुखपाल सिंह, हरीशंकर, सत्यपाल, कालीचरण आदि ने बताया कि रजऊ परसपुर से परसाखेड़ा तक 32.5 किलोमीटर लंबा बड़ा बाईपास 2013 में बनाया गया था। बड़ा बाईपास रोड बनाने के लिए 33 गांवों के करीब 3000 किसानों की जमीन अधिग्रहण की गई थी। इनमें 2400 किसानों ने जमीन का मुआवजा ले लिया था। लगभग 600 किसानों ने विसंगतियों के चलते मुआवजा नहीं लिया। 

आरोप लगाया कि जमीन अधिग्रहण के बदले बड़े नेताओं के गांवों को राजनीतिक दबाव में अधिक दरों पर मुआवजा दिया गया। मामला कोर्ट में पहुंचा तो 2018 में कोर्ट से बाहर मामला निपटाने के लिए डीएम ने एचएचएआई के अफसरों संग बैठकर समझौता करने की बात कही तब से आज तक किसान भटक रहे हैं।

मुआवजा की आस में किसान मरें नहीं तो क्या करें
महासभा के जिलाध्यक्ष हरिनंदन पटेल के अलावा ग्राम कुम्हरा के किसान राहित पटेल, रितु पटेल, जितिन कुमार, जगदीश, मंजू, कपिल कुमार, काजल आदि ने कहा कि पिछले साल मुआवजा दिए जाने की मांग को लेकर डीएम को ज्ञापन देकर दो विकल्प लिखकर दिए थे।

इसमें कहा गया था कि अगर किसानों की समस्या का समाधान नहीं हो सकता तो उनको जहर खाकर मरने की अनुमति दी जाए, दूसरा एनएचएआई से मिलकर समस्या का निदान कराने की बात कही। इसमें एनएचएआई ने पत्राचार करने के बाद मामला कोर्ट से निस्तारित होकर पल्ला झाड़ लिया। ऐसे में किसान मुआवजे का कब तक इंतजार करते रहें, ऐसी स्थिति में किसान मरें नहीं तो क्या करें।

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