लखनऊ बेसमेंट हादसा: शब्बीर के बुढ़ापे की लाठी छिनी, अफसाना के सिर से उठा पिता का साया

लखनऊ बेसमेंट हादसा: शब्बीर के बुढ़ापे की लाठी छिनी, अफसाना के सिर से उठा पिता का साया

लखनऊ, अमृत विचार। बेसमेंट धंसने से हुए हादसे में बेटे मुकादम की मौत से दिव्यांग पिता शब्बीर के बुढ़ापे की लाठी छीन ली। जबकि तीन वर्षीय बेटी अफसाना के सिर से पिता का साया सदा के लिए उठ गया। शब्बीर भूमिहीन हैं, मुकादम ही मजदूरी करके पूरे कुनबे का भरण पोषण करता था। उसकी मौत से पूरे परिवार पर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा है।

कालिंदी पार्क के पास निर्माणाधीन बेसमेंट धंसने से हुए हादसे में मुकामद और उसकी दो माह की बेटी आयशा की मौत हो गई थी। पिता की मौत से जहां चार वर्षीय बेटी अफसाना के सिर से पिता का साया उठ गया। वहीं बुजुर्ग व दिव्यांग पिता शब्बीर की बुढ़ापे की लाठी छिन गई। मुकादम प्रतापगढ़ के थाना देवसरा अंतर्गत आसपुर लखनीपुर का रहने वाला था। 

मृतक के छोटे भाई बुद्धा ने बताया कि जो ठेकेदार इस बिल्डिंग को बनवा रहा है। उसकी कई साइट हैं, जिन पर वह लंबे समय से मजदूरी करते आ रहे हैं। बताया कि यहां आठ माह से काम कर रहे थे। कुछ दिन पहले बड़े भइया परिवार के साथ गांव गये थे। जहां से 23 सितंबर को ही भाभी रुक्साना, दोनों भतीजी और 12 वर्षीय बहन फरजाना के साथ मजदूरी करने आये थे। 

बुद्धा ने बताया कि फूफा बनारसी, बुआ तारा व उनकी बेटी मुस्कान भी यहां पर मजदूरी कर रहे थे। सभी लोग बेसमेंट के किनारे बनी अलग-अलग झोपड़ी में लेटे थे। बुआ ने गुरुवार रात 11 बजकर 34 मिनट पर फोन कर हादसे की जानकारी दी थी। बुद्धा ने बताया कि पिता भूमिहीन हैं।

मुकादम तीन भाई और पांच बहनों में तीसरे नंबर के थे। हम तीनों भाई मजदूरी करके ही अपने-अपने परिवारों का भरण पोषण करते हैं। बताया कि बुजुर्ग माता पिता के भरण पोषण का जिम्मा मुकादम ही संभाले थे। बुद्धा ने ठेकेदार की लापरवाही से बहन व भतीजी की जान जाने का आरोप लगाया है।

नाबालिगों से मजदूरी करा रहा था ठेकेदार
जिस निर्माणाधीन भवन का बेसमेंट धंसने से हादसा हुआ है। यहां पर ठेकेदार नाबालिगों से मजदूरी करा रहा था। मजदूर पास में ही बनी पांच अलग-अलग झोपड़ियों में रह रहे थे। घटना स्थल पर मौजूद लोगों में चर्चा रही कि हादसे में जो लोग घायल हुए हैं, उनमें से तीन मजदूरी भी करते थे। इनमें से तीन नाबालिग हैं।

मृतक के परिजन को 50 हजार देने की चर्चा
मृतक मुकादम के छोटे भाई बुद्धा का कहना था कि ठेकेदार ने 50 हजार रुपये अंतिम संस्कार व शव वाहन आदि का किराया देने के लिए दिये हैं। एक सप्ताह बाद फिर आने के लिए कहा है। बुद्धा ने बताया कि ठेकेदार ने मजदूरों के लिए रहने की ठीक व्यवस्था नहीं की थी। इसी के चलते हादसा हुआ है।

एक झोपड़ी में था पूरा कुनबा
मुकादम का पूरा कुनबा एक ही झोपड़ी में था। इसके अलावा चार अन्य झोपड़ियों में अन्य मजदूर थे। मुकामद के साथ उसकी झोपड़ी में पत्नी रुख्साना, दोनों बेटियां और बहन थी। जबकि एक अन्य झोपड़ी में मुकादम के फूफा बनारसी, बुआ तारा और उनकी बेटी मुस्कान थी। वह लोग भी घायल हो गये।

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