भारत-अमेरिका संबंध
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि भारत और अमेरिका के संबंध अब तक के उच्चतम स्तर पर हैं और प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार उन्हें एक अलग स्तर तक लेकर जाएगी। शनिवार को वाशिंगटन में आयोजित एक कार्यक्रम में जयशंकर ने कहा कि जी 20 की सफलता अमेरिका के सहयोग के बिना संभव नहीं हो सकती थी। आज का भारत पहले से अलग है। आज भारत में सबसे तेजी से 5 जी सेवा उपलब्ध कराई जा रही है।
अगर भारत के कदमों में आज ऊर्जा है, उसकी आवाज में आत्मविश्वास है, तो इसके कई कारण हैं। सवाल उठता है कि कूटनीतिक मोर्चे पर कई चुनौतियों के बावजूद भारत-अमेरिका संबंध अब तक के उच्चतम स्तर पर हैं तो कैसे? कहा जा सकता है कि यूरोप में युद्ध से बढ़े मानवीय संकटों के साथ-साथ परिणामी ऊर्जा और खाद्य संकट के बावजूद, भारत और अमेरिका के बीच द्विपक्षीय संबंधों को और आगे बढ़ाने पर महत्वपूर्ण ध्यान दिया गया है।
भारत और अमेरिका के नेतृत्व ने अक्सर द्विपक्षीय साझेदार के रूप में मजबूत और अपरिहार्य बने रहने के प्रति अपनी प्रतिबद्धताओं को दोहराया है। हालांकि रूस-यूक्रेन संकट, अफगानिस्तान के मुद्दे और ईरान को लेकर दोनों देशों की प्रतिक्रियाओं में व्यापक विरोधाभास भी रहा है। यूक्रेन पर रूसी युद्ध के संदर्भ में दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों के सामने बड़ी चुनौतियां खड़ी हो गई थीं।
दोनों देशों का बार-बार अपनी साझेदारी के महत्व को दोहराना इंगित करता है कि इस रिश्ते के लाभ उनके विभिन्न राजनीतिक रुख के मतभेदों से कहीं अधिक हैं। भारत-प्रशांत क्षेत्र की अर्थव्यवस्थाओं के साथ घनिष्ठ संबंध विकसित करने के प्रयास में भारत संयुक्त राज्य अमेरिका का रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण सहयोगी है। सिर्फ इंडो-पैसिफिक ही नहीं, अमेरिका को चीन के बढ़ते खतरे से निपटने के लिए भारत के रणनीतिक समर्थन की भी आवश्यकता होगी।
क्वाड साझेदारी चार देशों के बीच वित्तीय बुनियादी ढांचे के बीच अधिक जुड़ाव की भी अनुमति देती है जो भारत-अमेरिका संबंधों को और मजबूत करने के लिए अत्यधिक फायदेमंद होगी। भारत और अमेरिका संयुक्त ऋअरब अमीरात और इज़राइल के साथ एक अन्य बहुपक्षीय समूह का भी हिस्सा बन गए। इन चार देशों के बीच मौजूद आई 2 यू 2 ग्रुप ने खाद्य सुरक्षा, अपशिष्ट प्रबंधन और ऊर्जा सुरक्षा के मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने के लिए साझा प्रयास की प्रतिबद्धता दोहराई।
ऐसे में भारत द्वारा बड़ी भूमिका निभाने का मार्ग प्रशस्त हो गया है और भारत के साथ घनिष्ठ संबंध बनाए रखना संयुक्त राज्य अमेरिका के हित में है। वास्तव में द्विपक्षीय संबंधों में प्रगति न केवल अमेरिका और भारत के लिए लाभप्रद है, बल्कि समग्र विश्व के लिए लाभप्रद है।
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