World Arthritis Day पर बोलीं डॉ. अमिता अग्रवाल- सस्ता और टारगेटेड इलाज मरीजों को दिला रहा राहत

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Published By Deepak Mishra
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लखनऊ, अमृत विचार। गठिया (Arthritis) की बीमारी किसी भी उम्र में हो सकती है। बच्चा, युवा, महिलायें और बुजुर्ग किसी को भी अर्थराइटिस (Arthritis) हो सकता है, लेकिन इस बीमारी से घबराने की जरूरत नहीं है। इसका इलाज अब आसान है। इसके इलाज के लिए अब दवायें उपलब्ध हैं वह भी कम कीमतों में। यह जानकारी संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान स्थित क्लिनिकल इम्यूनोलॉजी और रुमेटोलॉजी विभाग की एचओडी प्रो. अमिता अग्रवाल ने विश्व गठिया दिवस के अवसर पर अमृत विचार से बातचीत के दौरान दी।

उन्होंने बताया कि जो इलाज पहले इंजेक्शन के जरिये किया जाता था। उसके लिए अब दवायें आ गई हैं। जिसकी कीमत कम है और लोग आसानी से इलाज करा सकते हैं। 60 से 70 फीसदी तक लोगों में यह दवायें असर भी दिखा रही है। लोगों का जीवन गुणवत्तापूर्ण हो रहा है और वह अपना रोजमर्रा का काम आसानी से कर पा रहे हैं।

डॉ. अमिता अग्रवाल ने बताया कि पहले जो इलाज इंजेक्शन के जरिये किया जाता था और इसका लाभ महज एक से दो प्रतिशत लोगों को ही मिल पाता था। वही इलाज अब दवाओं के माध्यम से किया जा रहा है। दवायें इजेक्शन जैसी ही कारगर है, लेकिन इनकी कीमत बहुत कम है, जिससे लोगों की पहुंच में हैं। पहले इलाज में इस्तेमाल होने वाले इंजेक्शन लाखों में आते थे, लेकिन इजेक्शन की तुलना में दवाओं की कीमत काफी कम है। एक महीने की दवा करीब दो हजार की पड़ती है।

बच्चों में इलाज के लिए दवाओं पर चल रहा शोध

डॉ. अमिता अग्रवाल ने बताया कि एसजीपीजीआई में दो शोध चल रहे हैं। जिससे यह पता लगाने की कोशिश हो रही कि इन दवाओं का बच्चों पर क्या असर है। यदि बेहतर परिणाम आते हैं तो इन दवाओं से बच्चों का भी इलाज किया जायेगा। 

गठिया होने के 100 कारण

डॉ. अमिता अग्रवाल ने बताया कि गठिया होने के 100 कारण हो सकते हैं। जिसमें संक्रमण, टीबी, वायरल संक्रमण, जन्मजात और चिकनगुनिया जैसे कारण शामिल हैं। इसके अलावा जीवनशैली से जुड़ी समस्या गठिया रोग होने का प्रमुख कारण हो सकती है। जीवनशैली बिगड़ने से अर्थराइटिस की समस्या तेजी से बढ़ रही है। आरामतलबी भी इस बीमारी का प्रमुख कारण है। इस बीमारी के होने से लोगों के जोड़ खराब होने शुरू हो जाते हैं। एसजीपीजीआई में इस बीमारी का टारगेटेड इलाज किया जा रहा है।

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