कासगंज पहुंचा सिक्किम हादसे में शिकार हुए सैनिक का पार्थिव शरीर
कासगंज, अमृत विचार। सिक्किम में बादल फटने की घटना के बाद लापता हुए कासगंज के सैनिक का शव मिलने के बाद से पूरा परिवार टूट गया है। इधर घटना के लगभग तेरह दिन बाद मिले सैनिक के शव को मंगलवार को कासगंज लाया गया। बरेली की ओर से सेना के जवान सम्मान के साथ शव लेकर पहुंचे।
यहां सोरोंजी रोड स्थित बारह पत्थर मैदान में अंतिम दर्शन के लिए पार्थिव शरीर रखा गया। सेना के अधिकारियों, पुलिस के अधिकारियों के अलावा जनसामान्य के लोगों ने वीर सपूत को पुष्प चक्र अर्पित किए। यहां से सैनिक का शव तिरंगा यात्रा के साथ गांव की ले जाया गया। शहर में हर किसी ने नमन किया गया हर किसी की आंखें भर आईं।
कासगंज कोतवाली क्षेत्र के गांव सलेमपुर पीरौंदा निवासी सैनिक राघवेंद्र सिंह वर्ष 2004 में सेवा में भर्ती हुए थे। 6 महीने पहले उनकी पोस्टिंग सिक्किम में हुई थी। लगभग 14 दिन पहले मंगलवार को सेना का वाहन चलाकर टुकड़ी लेकर जा रहे थे।
इसी बीच सिक्किम की तीस्ता नदी में बादल फटने से अचानक बाढ़ आ गई और सैनिक, ट्रक बह गए। धीमे-धीमे तमाम सैनिकों के शव मिले, लेकिन सैनिक राघवेंद्र लापता थे। उनकी तलाश में सेना सर्च ऑपरेशन चल रही थी।
कड़ी मशक्कत की जा रही थी। कई दिनों से परिवार के लोग सिक्किम में ही डेरा जमाए हुए थे। वह शव की पहचान कर राघवेंद्र की तलाश में जुटे हुए थे, लेकिन कुछ पता नहीं चल रहा था। रविवार की देर रात कुछ और शव तीस्ता नदी में मिले।
इनमें से चोटों के निशान के आधार पर सैनिक के भाई नरेंद्र सिंह एवं पत्नी बेवी ने शव की शिनाख्त कर ली। उसके बाद से कोहराम मच गया। वैसे तो सोमवार को ही शव कासगंज जाना था, लेकिन सिक्किम में मौसम खराब होने के कारण शव लेकर विमान उड़ान नहीं भर सका। ऐसे में अन्य माध्यमों से प्रयागराज के रास्ते बरेली तक शव लाया गया।
बरेली से मंगलवार को सेना की टुकड़ी शव लेकर बदायूं, कछला होते हुए कासगंज पहुंची। यहां बारह पत्थर मैदान पर सैनिक का पार्थिव शरीर रखा गया। बड़ी संख्या में लोग पहुंच गए। सीओ सिटी अजीत चौहान भी पहुंचे।
उन्होंने पुष्प चक्र अर्पित कर सैनिक को श्रद्धांजलि दी। फिर अन्य तमाम लोगों ने भी पुष्प चक्र अर्पित कर सैनिक को नमन किया। इसके बाद सैनिक की शव यात्रा तिरंगा यात्रा में बदल गई। बड़ी संख्या में लोग शव यात्रा में शामिल हुए।
तिरंगा हाथों में लेकर भारत माता के सपूत को याद कर रहे थे और उन्हें नमन कर रहे थे। पूरे शहर में जहां से भी शव यात्रा निकली।। लोगों की आंखें नम हो गई और लोगों ने भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी।
यह है परिवार की स्थिति
राघवेंद्र छह भाईयों मे सबसे छोटा था। तीन बच्चे हैं। 2 बेटी और बेटा। बेटी 11वर्षीय योगिता, 9 वर्षीय नंदिनी, बेटा 6 वर्षीय जगत प्रताप है। पत्नी बेवी है। ससुर केशव सिंह आर्मी से सेवानिवृत्त हैं। 16 फरवरी 2010 मे अमांपुर के गांव सरसई नरु की बेवी से शादी हुई थी। वे 2004 से सेना की 620 EME वाटलियन मे नायक चालक के पद पर भर्ती हुए थे।
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