बरेली: पढ़ने-लिखने के शौक ने सुमिताभ को दिखाया फिल्म नगरी का रास्ता, 5 साल संघर्ष...अब मिल रहे अवार्ड

बरेली: पढ़ने-लिखने के शौक ने सुमिताभ को दिखाया फिल्म नगरी का रास्ता, 5 साल संघर्ष...अब मिल रहे अवार्ड

बरेली, अमृत विचार। अभिनय के साथ बरेली के युवा मायानगरी मुंबई में लेखन के क्षेत्र में भी अपनी पहचान बना रहे हैं। फतेहगंज पूर्वी के युवा लेखक एवं निर्देशक सुमिताभ सिंह अपनी तीन शार्ट फिल्में ओटीटी पर एक के बाद एक रिलीज से चर्चा में हैं। खास तौर से महिलाओं की महावारी जैसे गंभीर मुद्दे पर बनाई गई उनकी शार्ट फिल्म ''पीरियड ऑन डेट'' खूब तारीफ बटोर रही है।

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बीबीए की पढ़ाई कर 2018 में मुंबई का रुख करने वाले सुमिताभ बताते हैं कि इन पांच वर्षों में खूब संघर्ष किया। जिसका नतीजा यह हुआ कि आज उनके द्वारा निर्देशित और लिखी गई तीन फिल्म पीरियड ऑन डेट, परछाईं, ब्राउन इज माई ग्रीन 10 अक्टूबर के बाद से लगातार तीन दिन एक के बाद एक ओटीटी प्लेटफार्म पर रिलीज हुईं।

वह बताते हैं कि शुरुआत से ही पढ़ने और लिखने में दिलचस्पी थी। स्कूल और कालेज की पढ़ाई के दौरान चीजों को देखने का नजरिया अलग था। वह फिल्म निर्माण को नजदीक से देखना चाहते थे। लिहाजा, मुंबई आने से पहले एक्टिंग गुरु सादिक खान से लेखन, निर्देशन एवं एक्टिंग की बारीकियां सीखीं। शुरू से सिर्फ एक चाह थी कि अपना लिखा हुआ सिनेमा बनाना है।

शार्ट फिल्म रॉबर्ट डिसूजा से मिली पहचान
सुमिताभ के मुताबिक मुंबई आकर फ्रीलांस लेखन का काम शुरू किया। सलमान खान की राधे और अक्षय कुमार की लक्ष्मी बम में सहायक निर्देशक के रूप में काम करने का मौका मिला। कई वीडियो सॉन्ग डायरेक्ट किए। असल कामयाबी उस वक्त मिली, जब उनकी फिल्म रॉबर्ट डिसूजा को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान मिली। इस फिल्म को प्रतिष्ठित पोर्टब्लेयर अंतर्राष्ट्रीय अवार्ड और गोल्डन स्पैरो अवार्ड मिला। जल्द ही उनकी शार्ट फिल्म उपासक रिलीज होने वाली है।

जल्द बड़े पर्दे पर दिखेगा लेखन का जलवा
सुमिताभ बताते हैं कि बड़े पर्दे पर फिल्म बनाने की तैयारी है। एक फीचर फिल्म को लेकर काम कर रहे हैं। सबकुछ ठीक रहा तो यह फिल्म बड़े पर्दे पर जल्द नजर आएगी।

पीरियड ऑन डेट देती है बड़ा संदेश
सुमिताभ की फिल्म पीरियड ऑन डेट मुंबई में रहने वाले एक प्रेमी जोड़े की कहानी है। जो बताती है कि सच्चे प्यार का मतलब हर परिस्थिति में अपने पार्टनर के साथ खड़ा रहना है। फिल्म संदेश देती है किसी भी जोड़े के लिए शारीरिक होना ही बुनियादी जरूरत नहीं। फिल्म में पूरी गहराई के साथ महिलाओं को होने वाली महावारी के बारे में बताया गया है।

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