लखनऊ में संभलकर चलें, आबोहवा बना सकती है बीमार, डॉक्टर दे रहे मॉस्क लगाने की सलाह

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Published By Deepak Mishra
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लखनऊ, अमृत विचार। सेहत के लिए सुबह की सैर बेहद उपयोगी है लेकिन बड़े-बुजुर्गों की इस सलाह को लखनऊ जैसे शहर में तभी आजमाएं, जब इसके लिए भी खास इंतजाम हो। क्योंकि यहां के कई इलाकों की आबोहवा आपकी सेहत के लिए मुफीद नहीं है। शहर का एयर कवालिटी इंडेक्ट्स (एक्यूआई) इसकी पुष्टि करता है। इस वजह से डॉक्टर मॉस्क को अमल में लाने की सलाह दे रहे हैं। वहीं, वन विभाग प्रदूषण फैलाने वाले वाहनों के विरुद्ध ठोस कार्रवाई की बात कह रहे हैं।

राजधानी के ये हालात पहले भी रहे हैं लेकिन आधुनिकीकरण के नाम पर अधाधुंध पेड़ों की कटान और बढ़ती आबादी से ये संकट बढ़ चला है। एयर क्वालिटी इंडेक्स (एक्यूआई) के ताजातरीन आंकड़ों पर नजर डालें तो लालबाग, सेन्ट्रल स्कूल, गोमतीनगर, तालकटोरा सहित कई अन्य इलाकों की आबोहवा सबसे खराब है। हालांकि कुकरैल, आंबेडकर यूनिवर्सिटी सहित किनारे के कुछ इलाके फिर भी बेहतर हैं।

भाऊराव देवरस अस्पताल के फिजीशियन डॉ. जेएन सिंह कहते हैं कि ठंड ने दस्तक दे दी है। ऐसे में हवा का दबाव कम है। जिससे धूल की परत वायुमंडल में रुकना शुरू हो गई है। कहीं न कहीं यहीं प्रदूषण को बढ़ावा देगी। सांस/ दमा के मरीजों को सुबह टहलते समय मॉस्क का प्रयोग करना बेहतर रहेगा। अन्यथा स्वास्थ्य पर बुरा असर पड़ सकता है। जाड़ों में लोग कमरे में हीटर का प्रयोग न करें तो उचित है।

त्योहारों में पटाखों का कम से कम उपयोग ही स्वास्थ्य और वातावरण के लिए बेहतर रहेगा। उधर, वन विभाग के उप निदेशक डॉ. रुस्तम परवेज का मानना है कि सबसे अधिक प्रदूषण पुराने और खराब वाहन फैलाते हैं। दिल्ली में इसके लिए विभाग द्वारा एक नियत समय रखा गया है। इसके बाद उन वाहनों को हटा दिया जाता है। बढ़ते प्रदूषण की रोकथाम के लिए प्रदेश में भी ठोस कार्रवाई की जानी आवश्यक है। चूंकि लखनऊ एक घनी आबादी वाला शहर बन गया है। ऐसे में हवा को बेहतर बनाने के उद्देश्य से गुलमोहर, महोगनी आदि पौधे को लगाना अच्छा रहेगा।

लखनऊ में एक्यूआई का हाल

स्थान एक्यूआई
चारबाग 101            
गोमतीनगर 158
मवइया 113
लालबाग 132
निशातगंज 106
तालकटोरा 152
कुकरैल 70
आम्बेडकर यूनिवर्सिटी 80
विजय खण्ड  91

एक्यूआई का सेहत पर असर : शून्य से 50 तक एक्यूआई का मतलब हवा अच्छी है। जो स्वास्थ्य पर बहुत कम असर करती है। इससे अधिक यानि 100 तक संवेदनशील लोगों के लिए सांस लेने में दिक्कत दे सकती है। 101 से लेकर 200 एक्यूआई को अच्छा नहीं कहा जा सकता। दिल और अस्थमा मरीजों के लिए इसमें सावधानी बरतने की आवश्यकता है।

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