हल्द्वानी: खतरे में अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम...गौला नदी की ओर बने पैदल मार्ग व नाली में नदी ने किया भूकटाव, 30 मीटर तक का हिस्सा दरका

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Published By Bhupesh Kanaujia
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गौरव तिवारी, अमृत विचार, हल्द्वानी। गौला नदी ने रेलवे स्टेशन के बाद अब दूसरे किनारे पर बने इंदिरा गांधी अंतर्राष्ट्रीय स्पोर्ट्स स्टेडियम पर जमीन दरकाना शुरू कर दिया है । अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम का 30 मीटर हिस्सा दरक गया है, यह भूकटाव लगातार जारी है। ऐसे में 1.73 अरब की लगात से बने स्टेडियम का अस्तित्व पर संकट छा गया है।

खेल अधिकारियों के अनुसार, गौलापार में नदी किनारे 70 एकड़ वन भूमि में 173 करोड़ रुपये की लागत से इंदिरा गांधी अंतराष्ट्रीय स्पोर्ट्स स्टेडियम का निर्माण हुआ था। स्टेडियम के पीछे वाले हिस्से में गौला नदी के पानी के वेग के चलते करीब 30 मीटर अंदर तक के हिस्से में कटान हो चुका है। गौला नदी के किनारों पर तटबंध नहीं बनने से यह भूकटाव लगातार जारी है। यदि समय रहते इस भूकटाव का ट्रीटमेंट नहीं किया गया तो फुटपाथ के बाद क्रिकेट ग्राउंड पर भी खतरा हो सकता है।

गौला में समाया फुटपाथ व नाली
अतंर्राष्ट्रीय स्टेडियम के पैदल मार्ग और नाली गौला नदी में समा चुकी है। गौला नदी का प्रवाह तक स्टेडियम की ओर 30 मीटर तक कटान कर चुकी है। अब नदी से स्टेडियम की दहलीज ज्यादा दूर नहीं है। यह कटान दिन ब दिन बढ़ता जा रहा है।

… तो नदी का रूख मोड़ना रहा घातक
अगस्त-सितंबर में हुई भारी बारिश से गौला नदी ने हल्द्वानी रेलवे स्टेशन की ओर भूकटाव शुरू किया था। इसकी वजह से रेलवे ट्रैक नंबर-3 पर ट्रेनों का आवागमन पूरी तरह बंद कर दिया गया है। तब स्टेशन की ओर भूकटाव रोकने के लिए नदी का रुख मोड़ा गया था। पानी का बहाव स्टेशन के विपरीत स्टेडियम की ओर किया गया था। तब आशंका जताई गई थी कि नदी अंतर्राष्ट्रीय स्टेडियम को नुकसान पहुंचा सकती है लेकिन तब इसे हल्के में लिया गया। अब स्टेडियम में भूकटाव से इसके नुकसान सामने आने शुरू हो गए हैं।


नागार्जुन कंस्ट्रक्शन कंपनी ने बनाया था स्टेडियम
9 नवंबर 2014 में पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत ने इस स्टेडियम की नींव रखी थी। यह स्टेडियम  पूर्व नेता प्रतिपक्ष स्व. इंदिरा हृदयेश का ड्रीम प्रोजेक्ट था। अंतर्राष्ट्रीय स्तर की सुविधाओं से लैस यह स्टेडियम 70 एकड़ भूमि पर बना है। इसको बनाने का जिम्मा नागार्जुन कंस्ट्रक्शन कंपनी को दिया गया था। 18 दिसंबर 2016 को रावत ने क्रिकेट ग्राउंड का उद्घाटन किया था। वर्ष 2017 तक स्टेडियम  बनकर होना था लेकिन आधी अधूरी तैयारियों के बीच 22 मार्च 2017 को इसका उद्घाटन कर दिया गया। वर्ष 2021 में इसका काम पूरा हो सका। पिछले साल सितंबर में यह स्टेडियम खेल विभाग को हैंडओवर किया गया था।


ताक पर रखकर खोल दिया गया 12वां गेट
नदियों के स्वरूप से छेड़छाड़ नहीं की जा सकती। यहां तक नदियों को किसी जीवित व्यक्ति की तरह ही कानूनी अधिकार दिए और यह अधिकार गौला नदी के पास भी है। गौला सरकार की आर्थिकी को भी मजबूत करती है और इसके लिए नदी में 11 खनन गेट बनाए गए हैं। स्टेडियम निर्माण के दौरान नियमों को ताक पर रखकर स्टेडियम के नाम पर 12वां गेट खोल दिया गया। जबकि बगैर केंद्र सरकार की अनुमति के ऐसा नहीं किया जा सकता।  

विकास के नाम पर कब्जा लिया हाथियों का रास्ता
हल्द्वानी : स्टेडियम जिस भूमि पर बना है वो कभी एलीफैंट कॉरीडोर हुआ करता था। बताया तो यह भी जा रहा है कि वन विभाग के दस्तावेजों में आज भी ये भूमि एलीफैंट कॉरीडोर यानि हाथियों के आने-जाने का रास्ता है, लेकिन तब तत्कालीन सरकार ने स्टेडिमय के नाम पर सारे नियम-कायदों को ताक पर रख दिया था। सिर्फ स्टेडियम ही नहीं बल्कि एलीफैंट कॉरीडोर पर मौजूदा वक्त में तमाम इमारतें खड़ी कर दी गई हैं। अब हाथी गांवों में घुस रहे हैं।

स्पोर्ट्स स्टेडियम में सुविधाएं
क्रिकेट स्टेडियम : स्टेडियम में 10 हजार दर्शकों की बैठने की क्षमता, आईसीसी मानकों के अनुरूप पांच पिच, प्रैक्टिस के लिए नेट, प्लेयर्स लॉज, कमेंट्री बॉक्स। 
एथलेटिक्स स्टेडियम : पांच हजार दर्शकों की क्षमता, जिसमें आठ लेन रनिंग ट्रैक, जॉगिंग ट्रैक और साइक्लिंग ट्रैक, जैवलिन थ्रो, लॉग जंप, हाई जंप और शार्टपुट थ्रो के साथ हॉकी का एस्ट्रोटर्फ भी शामिल है, जिसमें फ्लड लाइटों को भी लगाया जाएगा। 
इंडोर स्टेडियम : दो हजार दर्शकों की क्षमता, इसमें स्वीमिंग पूल, बास्केटबाल कोर्ट, वॉलीबाल कोर्ट, टेनिस कोर्ट, बैडमिंटन कोर्ट, वेट लिफ्टिंग सुविधा, रॉक क्लाइंबिंग और कुश्ती मैदान भी शामिल है। 


भूकटाव रोकने के लिए खेल विभाग सजग है, इसके लिए डीएम को रिपोर्ट सौंप दी गई है। वहीं सिंचाई विभाग की ओर से स्टेडियम के बाउंड्री वाल को कटाने से रोकने के लिए तटबंध निर्माण के लिए अनुरोध किया गया है, जिसे आने वाले दिनों में पूरा कर लिया जाएगा। 
- रशिका सिद्दीकी, उपखेल निदेशक

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