World COPD Day : खांसी और बलगम आना हो सकता है गंभीर बीमारी के संकेत, विशेषज्ञ डॉक्टर से ले सलाह
सांस रोगियों में 15 फीसदी मरीज सीओपीडी की चपेट में, दिल की तरह फेफड़े की जांच भी है जरूरी
लखनऊ, अमृत विचार। विश्व सीओपीडी दिवस आज यानी 15 नवंबर को मनाया जा रहा है। इस दिन को मनाने के पीछे शरीर के सबसे महत्वपूर्ण अंग फेफड़े को स्वस्थ रखना है। किंग जार्ज चिकित्सा विश्वविद्यालय के रेस्पिरेटरी मेडिसिन के प्रो.आरएएस.कुशवाहा बताते हैं कि धुआं फेफड़े के लिए बहुत हानिकारक है। धुएं में हानिकारण रसायन होता है जो फेफड़े को नुकसान पहुंचाता है, लेकिन जिस व्यक्ति को नुकसान हो रहा होता है, उसे तब जानकारी हो पाती है। जब वह सीओपीडी यानी की क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज से वह गंभीर रूप से पीड़ित हो जाता है। उन्होंने बताया कि जिस तरह लोग दिल के रोगों के प्रति जागरूक रहते हैं, ठीक उसी तरह फेफड़े के रोग के प्रति जागरूक रहना चाहिए।
उन्होंने यह भी बताया कि सीओपीडी रोग होने से दिल को भी नुकसान पहुंचता है, साथ ही रोग की गंभीरता बढ़ने पर शरीर के अन्य अंग भी प्रभावित होते हैं। ऐसे में महज कुछ मिनट की जांच करा कर अपने फेफड़े को सुरक्षित रखा जा सकता है।
उन्होंने बताया कि लोगों में इस बीमारी को लेकर जागरुकता लाने के लिए इस दिन को मनाया जाता है। हमारा मकसद है कि अन्तिम व्यक्ति तक सीओपीडी बीमारी की जानकारी पहुंच जाये। जिससे लोग सीओपीडी से बचाव कर सकें। उन्होंने बताया कि उनके पास ओपीडी में आने वाले सांस के मरीजों में से करीब 15 से 20 फीसदी मरीज सीओपीडी से पीड़ित होते हैं। वह भी उनकी स्थिति अच्छी नहीं होती है। हम सिर्फ दवाओं से रोग का रोकथाम कर सकते है, उसे पूरी तरह से ठीक नहीं कर सकते, लेकिन यही मरीज यदि समय पर अपनी बीमारी को जान जायें तो वह स्वस्थ जीवन जी सकते हैं।
इलाज के लिए देर से पहुंच रहे मरीज
प्रो.आरएएस.कुशवाहा की मानें तो सिगरेट हर जगह पी जाती है, लेकिन एक विशेषज्ञ चिकित्सक हर जगह नहीं मिल पाता। ऐसे में मरीजों के लिए इस बीमारी की जानकारी हो पाना काफी कठिन हो जाता है। केजीएमयू जैसे संस्थान तक आने में ही मरीजों को लंबा वक्त लग जाता है। जिससे भी उनको हानि पहुंचती है। ऐसे में सबसे बेहतर तरीका है कि लक्षणों को जाने और अपनी सेहत बचायें। यदि जरा सी भी समस्या महसूस हो तो विशेषज्ञ चिकित्सक से ही सलाह लें।
भयानक है बीमारी
प्रो.आरएएस.कुशवाहा ने बताया कि दुनिया भर में लगभग 38 करोड़ से अधिक लोग सीओपीडी बीमारी से ग्रसित हैं। यह बीमारी वैश्विक स्तर पर मृत्यु दर का एक बड़ा कारण है। भारत में भी इस बीमारी से भारी संख्या में लोग चपेट में आते हैं, हमारे देश में करीब 5 करोड़ से अधिक लोग इस बीमारी से पीड़ित हैं, हमारे देश में इस बीमारी का प्रमुख कारण धूम्रपान और हवा का प्रदूषण है। उन्होंने बताया कि क्रॉनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज रोकथाम करने वाली बीमारी है। यह बीमारी सांस फूलने, लगातार खांसी आने और बलगम का कारण बनती है। उन्होंने यह भी कहा कि एक बार यह बीमारी हो गई, तो उसकी रोकथाम हो सकता है। यदि डॉक्टर चाहे भी तो इस बीमारी को ठीक नहीं कर सकता है।
लक्षण
उन्होंने लक्षणों की जानकारी देते हुये बताया कि यदि पुरानी खांसी, सांस लेने में तकलीफ, सीने में जकड़न और थकान की दिक्कत हो रही हो तो तत्काल डॉक्टर से राय लेनी चाहिए। नहीं तो स्थित खराब हो सकती है।
केजीएमयू के अलावा डॉ. राम मनोहर लोहिया आयुर्विज्ञान संस्थान में इलाज के लिए आने वाले करीब 100 सांस के मरीजों में 30 प्रतिशत मरीज सीओपीडी के ही बताये जा रहे हैं।
