Mahoba: बुंदेलखंड में दीपावली त्योहार पर आज भी जारी परंपरा… सुअर और गाय की होती लड़ाई, देखने वालों की लगती भीड़
महोबा में सुअर और गाय की लड़ाई देखने को जुटी भारी भीड़।
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बुंदेलखंड क्षेत्र में दीपावली त्योहार पर गाय से सुअर को लड़ाने की परंपरा आज भी कायम है। जिसे देखने लोगों की भारी भीड़ जुटती है।
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महोबा, अमृत विचार। बुंदेलखंड क्षेत्र में दीपावली त्योहार पर गाय से सुअर को लड़ाने की परंपरा आजभी कायम है। सुअर को गाय के पैरों तले फेंककर मौनिए दिवारी खेलते हैं। कई घंटे तक होने वाली इस अजीबोगरीब परंपरा में सुअर भी बुरी तरह से घायल हो जाता है या मर जाता है।
बुंदेलखंड के महोबा और आसपास के तमाम ग्रामीण इलाकों में बुधवार को दिवाली की अजीबोगरीब परंपराओं का निर्वहन किया गया।
दीपावली के दूसरे दिन गोवर्धन पूजा और भैया दूज पर गाय के पैरों तले सूअर को रौंदा जाता है। यह सिलसिला तबतक जारी रहता है, जबतक सूअर की मौत नहीं हो जाती है। इस खेल के प्रारंभ से अंत तक युवा और बच्चों को शोर रहता है और फिर ग्वाल वाले बनकर दिवारी नृत्य करके खुशियां मनाते हैं।
हालांकि पाश्चात्य संस्कृति के प्रभाव तले कई गांवों में यह परंपरा अब खात्मे की ओर है। जानकार बताते है कि पूर्वजों से गाय और सुअर की लड़ाई कराने की परंपरा चली आ रही है। इसे बुराई पर अच्छाई के विजय के रूप में मनाया जाता है। उन्होंने बताया कि भगवान श्रीकृष्ण ने गौ का रूप धारण कर अपने खुरों से सुअर का वध किया था। उसी समय से इसे निभाने की परंपरा चली आ रही है।इसके बाद मौन पूजा की समूचे बुंदेलखंड में धूम मचती है।
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