प्रयागराज: देवउठनी एकादशी पर संगम में श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, तुलसी विवाह में हुए शामिल

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Published By Sachin Sharma
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प्रहागराज। कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी के अवसर पर संगमनगरी में गंगा और यमुना घाट पर लाखों श्रद्धालुओ की भीड़ उमड़ी। लोगों ने स्नान कर पुरोहितों से विधिविधान से पूजन-अर्चन कराया। तुलसी विवाह में शामिल होकर पुण्य अर्जित किया। वहीं पुरोहितों व भिखारियों को दान देकर पुण्य के भागी बने। 

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प्रयागराज के विश्व प्रसिद्ध दशाश्वमेध घाट, राम घाट, बलुआ घाट सहित विभिन्न घाटों पर सुबह से देर शाम तक श्रद्धालुओं की भीड़ रही। इस दौरान सुरक्षा के मद्देनजर प्रशासन अलर्ट रहा। भोर से ही गंगा व यमुना घाट पर श्रधालुओ की भीड़ रही। स्नान के पश्चात श्रद्धालु आचमन कर अपने क्षमता अनुसार दान दक्षिणा कर रहे हैं।

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बलुआ घाट के अलावा अधिकतर घाटों पर श्रद्धालु गंगा स्नान कर रहे हैं। देवउठनी एकादशी पर घाट के किनारे बनाये गये भीमसेनी की लोगो ने पूजा की। घाट पर भगवान सालिग्राम और  तुलसी मईया के विवाह मे शामिल हुये। बाजे गाजे के साथ बारात आई और विवाह सम्पन्न हुआ। ल ऐसी मान्यता है कि इस स्नान पर मां गंगा स्वयं आती हैं और अपने भक्तों को आशीर्वाद प्रदान करती है। इसलिए एक दिन के स्नान से एक माह के गंगा स्नान का फल मिल जाता है। लोगों के सभी पाप पतित पावनी गंगा में धुल जाते हैं।

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जानिये देवउठनी एकादशी की क्या है मान्यता 

शास्त्रों व मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री हरि विष्णु (सालिग्राम) आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष के एकादशी वाले दिन झीरसागर में निद्रा के लिए जाते हैं। जहां वह चार मास विश्राम करते हैं। इन चार महीना में हिंदू धर्म के अनुसार मांगलिक कार्य वर्जित रहते हैं। इसके पश्चात कार्तिक महीने में शुक्ल पक्ष की एकादशी वाले दिन भगवान श्री हरि विष्णु अपनी निद्रा से जागते हैं।

मंदिरो में भगवान विष्णु की विशेष पूजा अर्चना कर शंख ध्वनि से उन्हें जगाया जाता है। इसके साथ ही साथ आज शाम में शालिग्राम पत्थर एवं माता तुलसी की पूजा (तुलसी के पौधे के रुप में) की जाती है। मान्यताओं के अनुसार भगवान श्री हरि विष्णु को तुलसी अत्यंत प्रिय हैं। इसी के चलते आज के दिन अधिकतर घरों के आंगन में तुलसी के पौधे की विधिवत पूजा की जाती है।

उन पर वस्त्र आदि चढ़ाकर प्रतीकात्मक स्वरूप भगवान श्री हरि विष्णु से विवाह संपन्न कराया जाता है। इसे तुलसी विवाह कहते हैं। इसीलिए आज के दिन तुलसी विवाह भी मनाया जाता है। ऐसा भी माना जाता है कि तुलसी के पौधे में माता लक्ष्मी का वास होता है। इसके बाद ही सभी मांगलिक कार्य शुरू हो जाते हैं।

कार्तिक मेले में जमकर हुई खरीददारी

मेले में सुबह से भीड़ रही। स्नान के बाद श्रृद्धालुओं ने मेले में जमकड़ खरीददारी भी की। मेले लगी दुकानों पर भीड़ इस कदर रही की पूरी सड़क भीड़ से भरी रही। आने जाने वाले लोगो को पैदल चलना भी मुश्किल हो रहा था। मेले में वाहनों का प्रवेश पूरी तरह से पुलिस ने वर्जित कर रखा था।

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