मुरादाबाद : ...मैं रामगंगा, मेरे पवित्र आंचल को गंदा न करो बच्चों

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Published By Bhawna
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सदियों से आपके खेतों को सिंचित कर परिवार का पालन पोषण करती आई हूं, हर धर्म-जाति के लोग मेरे जल से करते हैं स्नान

मनोज पंवार, अमृत विचार। मैं जीवनदायिनी रामगंगा हूं, अपने स्वार्थ के लिए मेरे आंचल को गंदा न कीजिए। सदियों से आपकी फसल को सिंचिंत करके  आपका पालन पोषण की  रही हूं, पर आज मुझे मेरे अपने ही प्रदूषित करने में लगे हैं। मैं इससे व्यथित हूं। घाटों पर पसरी गंदगी और महानगर के गंदे नालों का पानी डाले जाने से मैली हो गई हूं। लोग स्नान करने के लिए आने से कतराते हैं। कार्तिक पूर्णिमा का स्नान करीब है। घाटों पर गंदगी से लोग स्नान करने से हिचकेंगे। प्रशासन भी साफ-सफाई को लेकर गंभीर नहीं है। लोग पूजा पाठ करते हैं और सामान को जल में प्रवाह कर देते हैं। पॉलीथिन भी मेरे जल में डालकर चले जाते हैं। इससे मुझे पीड़ा होती है और जलीय जीवों को भी नुकसान पहुंचता है।

गुरुवार की दोपहर सीएल गुप्ता नेत्र संस्थान के समीप स्थित रामगंगा नदी के किनारे कोई अपने जीवन यापन के लिए मछली पकड़ रहा तो कोई रामगंगा के आंचल से रेत निकाल रहा। लोगों को अपनी रोजी-रोटी की तो चिंता है लेकिन, सफाई की तरफ किसी का ध्यान नहीं है। लोग यहां पूजन के लिए आते हैं और मां से आशीर्वाद मांगते है, लेकिन गंदा करने में पीछे नहीं रहते।

निष्प्रयोज्य सामग्री जल में ही छोड़ जाते हैं। मैं  बेहद दुखी हूं। सबसे ज्यादा दुख तब होता है, जब अपने ही पुत्र मुझे प्रदूषित करते हैं। नालों का गंदा पानी डाला जाता है। इससे जल गंदा होता है। कभी मेरा जल एकदम स्वच्छ था, यहां तक कि लोग मेरे जल से आचमन करते थे, लेकिन आज कोई मेरी पीड़ा की तरफ कोई ध्यान देने वाला नहीं है। पिछले दिनों छठ पूजा पर पर बड़ी संख्या में लोगों ने स्नान कर पूजा अर्चना की। कार्तिक गंगा पूर्णिमा स्नान को लेकर अभी तक घाटों पर सफाई नहीं हुई। अंतिम संस्कार से पहले लोग मेरे ही जल से स्नान कराते हैं। मेरी व्यथा समझो और मुझे भी साफ-सुथरा करो, जिससे  बड़ी संख्या में मेरे अपने स्नान करने आएं और मेरी लहरों से अठखेलियां करें। गंदे नालों का पानी बंद कराया जाए। तभी मैं स्वच्छ और निर्मल रह सकती हूं।

मासूम मिष्टी बोली- स्वच्छ-निर्मल हो रामगंगा 
मिष्टी दहिया स्कूल से सीधे अपने नाना विवेक चौधरी के साथ स्कूटी से रामगंगा नदी किनारे पहुंची। इस मासूम से जब पूछा कि नदी कैसी हो तो मासूमियत से सिर हिलाकर कहा, रामगंगा साफ और निर्मल हो। नाना विवेक ने बताया कि जब स्कूल से छुट्टी होती है और स्कूटी आकाश ग्रीन के मुख्य गेट पर पहुंचती है तो मिष्टी कहती है कि पहले नदी किनारे घुमाकर लाओ। यह रोजाना का ही क्रम है। इनका कहना है कि नदी किनारे साफ-सफाई रहे, इसके लिए सभी को पहल करनी चाहिए। लोग खुद भी इसके लिए जिम्मेदार हैं, क्योंकि वह अपनी पूजन सामग्री को जल में ही फेंक देते हैं तो कुछ घाट पर ही छोड़ देते है। अब लोग कार्तिक गंगा मेले पर स्नान करने के लिए आते हैं। इससे पहले ही घाटों की सफाई हो जाये।

गंगा की सहायक नदी है रामगंगा 
गंगा की सहायक नदी है रामगंगा। यह हिमालय की पर्वत शृंखलाओं के कुमाऊं मंडल के अल्मोड़ा जिले के दूनागिरी स्थान से निकलती है। बाढ़ खंड विभाग के सहायक अभियंता सुभाषचंद्र ने बताया कि रामगंगा नदी की भी कई सहायक नदियां है। जिसमें कोसी, खोह, अरिल व गागन हैं। इस नदी की लंबाई करीब 596 किलोमीटर है। यह नदी उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के लोगों के लिए जीवनदायिनी है। इससे लोग फसलों की सिंचाई करते हैं।

नदी से निकाला जा रहा रेत
लोग अपनी रोजी-रोटी चलाने के लिए रामगंगा नदी से रेत का खनन कर रहे हैं। सुबह से ही लोग अपनी भैंसा बुग्गी और बैलगाड़ी लेकर नदी किनारे पहुंच जाते हैं और खनन करते हैं। लेकिन, सफाई की तरफ कोई ध्यान नहीं देते। कई लोग नदी पार करते नजर आये। किसी के सिर पर गन्ने की पत्ती रखी थी,तो कोई अपने काम से नदी पार कर दूसरी तरफ जा रहा था। लोग शाम के समय टहलने के लिए भी नदी किनारे आते हैं।

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