बरेली: यात्रियों के लिए नहीं, विज्ञापनों की साइट के लिए बने हैं ये शेड
बरेली, अमृत विचार। शहर के लोगों को जरूरत के मुताबिक सड़कें भले न मिल पाई हों लेकिन ऐसे यात्री शेड जरूर हर सड़क पर बनवा दिए गए हैं जो उनके किसी काम के नहीं हैं।
नगर निगम की ओर से यात्रियों के नाम पर लाखों फूंककर बनवाए गए ये शेड विज्ञापनों की साइट के हिसाब से बनाए गए हैं, इसके साथ खुद नगर निगम की भी कमाई का जरिया बने हुए हैं। हालत यह है कि जिन सड़कों पर पब्लिक ट्रांसपोर्ट के साधन तक नहीं है, उन पर भी यात्री शेड बना दिए गए हैं।
यात्री शेड बनाने के लिए एक स्टील का ढांचा भर तैयार करना होता है जिसके ऊपर धूप और बारिश से बचाव के लिए एक फाइबर शीट डाली जाती है और नीचे लोगों के बैठने के लिए कुछ कुर्सियां। निजी तौर पर ऐसा यात्री शेड ज्यादा से ज्यादा डेढ़-दो लाख में तैयार हो सकता है लेकिन सड़कों पर बनाए गए हर यात्री शेड पर पांच लाख का खर्च आया है।
नगर निगम की ओर से बनाए गए इन यात्री शेड का ढांचा विज्ञापन के ही हिसाब से तैयार किया गया है, लिहाजा इनके नीचे खड़े होकर धूप और पानी से बचना भी नामुमकिन होता है। इसी वजह से इनका कोई उपयोग नहीं होता और ज्यादातर शेड बर्बाद हो चुके हैं। कई जगह लोग उनकी कुर्सियां तक चुरा ले गए हैं। उन पर लगे विज्ञापन जरूर दूर से ही चमक रहे हैं।
राजेंद्रनगर में पास-पास दो यात्री शेड : राजेंद्रनगर में बिजली सबस्टेशन के पास दो यात्री शेड बना दिए गए हैं। यहां कोई यात्री खड़ा नहीं होता लेकिन नगर निगम का उद्देश्य जरूर पूरा हो रहा है। पास-पास बने इन दोनों दो शेड के बाहर सड़क पर कारें खड़ी की जाती हैं। शेड में लगे विज्ञापनों को देखने में भी कुछ दिक्कत नहीं होती।
सांसद निधि से बना यात्री शेड गायब: डेलापीर पेट्रोल पंप के सामने सांसद निधि से बना यात्री शेड अब मौके पर नहीं है। इज्जतनगर स्टेशन से कर्मचारी नगर जाने वाली सड़क पर बना यात्री शेड बुरी तरह जर्जर हो चुका है। उसकी छत नष्ट हो चुकी हैं, अंदर पड़ी सीटें भी गायब हो गई हैं।
सीबीगंज चौराहे पर विधायक का बैनर: सीबीगंज चौराहे पर विधायक निधि से बने शेड पर विधायक डॉ. अरुण कुमार का अपना बैनर लगा है। किला में सत्यप्रकाश पार्क के पास विधायक निधि से बने यात्री शेड में भी विधायक के बैनर लगे हैं लेकिन पूरी तरह फट चुके हैं। दूल्हे मियां की मजार के पास शेड के बाहर फुटपाथ पर जूते की दुकान और शेड पर बीमा कंपनी का विज्ञापन लगा है। रघुवंशी कॉम्प्लेक्स के सामने और चौकी चौराहा पुलिस चौकी के पास शेड पर भी विज्ञापन लगे हैं।
यहां भी अगल-बगल दो-दो यात्री शेड: प्रभा टॉकीज के सामने और गांधी उद्यान के पास भी अगल-बगल दो शेड बनाए गए हैं। इनमें भी यात्री तो नहीं दिखते लेकिन विज्ञापन लगे हैं। सेटेलाइट चौराहे पर बस अड्डे के पास बना शेड भी विज्ञापन के काम आ रहा है। पीलीभीत रोड पर भी विधायक निधि से बने शेड यात्रियों के काम नहीं आ रहे हैं।
नगर निगम की आय बढ़ाने के साथ निर्माण का खर्च निकालने के लिए भी ये शेड बनाए गए हैं। ये शेड लोगों को धूप से बचाने का भी काम करते हैं। - अजीत कुमार सिंह, राजस्व प्रभारी एवं अपर नगर आयुक्त
सिटी बसों के रूट पर नहीं बनाए यात्री शेड
शहर में पब्लिक ट्रांसपोर्ट के नाम पर इलेक्ट्रिक बसें चलाई गईं लेकिन उनके तय रूट और बसों के स्टॉपेज पर कोई यात्री शेड नहीं बनाया गया। हालांकि अब ये बसें ही शहर के बजाय देहात में चलाई जा रही हैं। शुरुआत में इन्हें जंक्शन से किला और जंक्शन से गांधी उद्यान, स्टेडियम रोड, मिनी बाईपास होते हुए किला तक चलाया गया था।
गांधी उद्यान से डेलापीर और डेलापीर से आईवीआरआई होते हुए किला तक कोई यात्री शेड नहीं बनाया गया। दूल्हे मियां की मजार के पास बने शेड में सिटी बस की समय सारिणी लटकाई गई है लेकिन वह ऐसी जगह लगी है कि दिखाई ही नहीं देती।
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