Auraiya News: रामलला के जलाभिषेक का साक्षी बनेगा पचनद का जल, विचित्र पहल संस्था ने की पहल
रामलला के जलाभिषेक का साक्षी बनेगा पचनद का जल।
रामलला के जलाभिषेक का साक्षी बनेगा पचनद का जल। पचनद की पौराणिक मान्यता भी है। यहां तुलसीदास ने रामचरित मानस का पाठ लिखा था।
औरैया, (गौरव चतुर्वेदी)। 22 जनवरी देश ही नहीं पूरे विश्व और सनातन धर्म को गौरवान्वित करने वाला दिन है। हर कोई इस दिन का साक्षी बनना चाह रहा है। रामलला के गर्भ गृह में स्थापना से पूर्व उनका विश्व की विभिन्न पवित्र नदियों के जल से जलाभिषेक किया जायेगा।
इसमें औरैया से भी पांच नदियों के संगम(यमुना,चंबल,क्वारी,सिंधु, पहुज) का जल भी प्रभु राम के जलभिषेक को जायेगा। इसके लिए जिले की संस्था विचित्र पहल ने पहल की है।
अयोध्या में रामलला की गर्भ गृह में पहुंचने से पहले कई नदियों के जल से जलभसिषेक किया जायेगा। जिसके लिए विश्व के कोने कोने में रह रहे सनातनी अपने यहां की पवित्र नदियों का जल लेकर पहुंच रहे है।
यमुना नदी की सफाई में अग्रणी संस्था एक विचित्र पहल ने एक पहल की और अब रामलला के जलाभिषेक के लिए पचनद का जल भी जायेगा। संस्था के पदाधिकारी कलश में जल लेकर अयोध्या पहुंचेंगे।
श्रीराम जन्मभूमि के प्रभारी प्रकाश कुमार गुप्ता ने बताया कि देश के अलावा पाकिस्तान और अफगानिस्तान की नदियों का जल भी आ रहा। पचनद का जल भी महत्वपूर्ण है।
एक विचित्र पहल संस्था के अध्यक्ष आनंद नाथ गुप्ता ने बताया की वह लोग कलश में लेकर पचनद का जल लेकर जाएंगे। जिसके लिए अयोध्या में बात हो गई है।
*पचनद का पौराणिक महत्व--*
औरैया में इटावा की सीमा में पांच नदियों का संगम है। यहां का पौराणिक महत्व प्रयागराज के संगम से कमतर नहीं है। यहां तुलसीदास ने रामचरितमानस का एक पाठ लिखा था।
इसके साथ ही पांडव भी अज्ञातवास के दौरान यहां रहे थे। पांडवों ने इसी पचनद के जल से यहां भारेश्वर और कालेश्वर का जलाभिषेक किया था।
