संत कबीर नगर: मेहमान पंछियों की कत्लगाह साबित हो रही बखिरा झील, रात के अंधेरे में कुछ इस तरह से शिकार करते हैं स्थानीय शिकारी
हर साल ठंड के सीजन में आते हैं साइबेरियन पंछी, प्रजनन कर बढ़ाते हैं कुनबा और गर्मी शुरू होते ही स्वदेश के लिए हो जाते हैं रवाना
संतकबीरनगर। ठंड का सीजन शुरू होते ही हजारों किलोमीटर की यात्रा कर बखिरा झील में ठिकाना बनाने वाले साइबेरियन पंछी बड़ी आसानी से शिकारियों का निवाला बन रहे हैं। संतकबीरनगर जिले के साथ ही पड़ोसी जिले गोरखपुर, बस्ती, सिद्धार्थनगर, महराजगंज आदि जिलों में साइबेरियन पंछियों की तगड़ी डिमांड है। बताते चलें कि ठंड का सीजन शुरू होते ही साइबेरिया से पंछियों का भारी हुजूम अलग अलग झुंड में हर साल बखिरा झील में आता है। ये पंछी ठंड में ही प्रजनन भी करते हैं। जिसके चलते इनका कुनबा बड़ी तेजी से बढ़ता है।
प्रशासन ने साइबेरियन पंछियों के शिकार पर प्रतिबंध भी लगाया है। लेकिन शिकारियों को प्रशासनिक अमले को झांसा देने में कोई दिक्कत नहीं होती। झील के आसपास के गांवों के सैकड़ों किसान नावों की सहायता से झील के उसपार पशुओं का चारा काटने जाते हैं। उनकी नावें झील में ही बंधी रहती हैं। रात के अंधेरे में क्षेत्रीय शिकारी इन्हीं नावों की सहायता से झील में उतरते हैं और बड़ी आसानी से मेहमान पंछियों का शिकार करते हैं। तमाम बार शिकारी आटे की गोलियां बनाकर उसमें नशीली दवाएं डाल देते हैं।
इन गोलियों को खाकर पंछी बेहोश हो जाते हैं। बाद में इन्हें पकड़ना शिकारियों के लिए बेहद आसान हो जाता है। हालत यह होती है कि भारी संख्या में प्रजनन करने के बावजूद वापस लौटते समय साइबेरियन पंछियों की संख्या आने वाली संख्या की आधी के आसपास ही रह जाती है। शेष पंछी शिकारियों का शिकार बन जाते हैं। बेहद गंभीर बात तो यह है कि प्रशासन को मेहमान पंछियों के बड़े पैमाने पर शिकार की जानकारी है।
गाहे-बगाहे अभियान चलाकर शिकारियों को रंगेहाथ पकड़ा भी जाता है, लेकिन उनके खिलाफ अपराध की कोई बड़ी धाराएं नहीं लग पातीं जिससे वे आसानी से छूट जाते हैं और दुबारा फिर अपने कारोबार में जुट जाते हैं। नाम न छापने की शर्त पर एक शिकारी ने बताया कि प्रशासन के अधिकारी और स्थानीय थाने के पुलिस कर्मियों द्वारा भी साइबेरियन पंछियों की डिमांड भेजी जाती है। इसके अलावा अधिकारी सुविधा शुल्क भी वसूल करते हैं। जिसके चलते अगर पुलिस की रेड पड़ती भी है तो उसकी पूर्व सूचना मिल जाती है जिससे शिकारी बड़ी आसानी से बच जाते हैं।
गोपनीय तरीके से छापेमारी कराकर होगी कार्रवाई, एसपी
इस बारे में बात करने पर पुलिस अधीक्षक सत्यजीत गुप्ता ने बताया कि यह सही है कि बखिरा झील में साइबेरियन पंछियों का शिकार होता है। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह है कि झील का क्षेत्रफल काफी बड़ा है। यहां आने जाने के तमाम रास्ते हैं। तमाम गोपनीय रास्ते भी मौजूद हैं। शिकारी इन्हीं रास्तों का प्रयोग करते हैं। पूर्व में कुछ शिकारियों को पंछियों के साथ पकड़ा भी गया था। उन्होंने बताया कि योजना तैयार है। शीघ्र ही गोपनीय तरीके से छापेमारी कर मेहमान पंछियों के शिकार पर प्रभावी अंकुश लगा दिया जाएगा।
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