WFI अध्यक्ष बने बृजभूषण के विश्वासपात्र संजय सिंह, कई बार लंबित होने के बाद दर्ज की जीत
नई दिल्ली। निवर्तमान अध्यक्ष बृजभूषण शरण सिंह के विश्वासपात्र संजय सिंह भारतीय कुश्ती महासंघ (डब्ल्यूएफआई) के कई बार लंबित हुए चुनावों में गुरुवार को यहां अध्यक्ष पद पर आसान जीत दर्ज करने में सफल रहे। संजय के पैनल के सदस्यों ने अधिकतर पदों पर आसान जीत हासिल की। उत्तर प्रदेश कुश्ती संघ के उपाध्यक्ष संजय को 40 जबकि उनकी प्रतिद्वंद्वी राष्ट्रमंडल खेलों की पूर्व स्वर्ण पदक विजेता अनिता श्योराण को सिर्फ सात मत मिले। आरएसएस से जुड़े संजय वाराणसी के रहने वाले हैं और बृजभूषण के बहुत करीबी सहयोगी हैं। निवर्तमान प्रमुख की खेल में जबरदस्त रुचि को देखते हुए यह उम्मीद है कि संजय नीतिगत निर्णयों में उनसे सलाह लेंगे। संजय ने चुनावों में जीत दर्ज करने के बाद संवाददाताओं से कहा, ‘‘यह देश के हजारों पहलवानों की जीत है जिन्हें पिछले सात से आठ महीनों में नुकसान उठाना पड़ा है।’’
महासंघ के अंदर चल रही राजनीति के बारे में पूछे जाने उन्होंने कहा, ‘‘हम राजनीति का जवाब राजनीति और कुश्ती का जवाब कुश्ती से देंगे।’’ अनिता का पैनल हालांकि महासचिव पद अपने नाम करने में सफल रहा जब प्रेम चंद लोचब ने दर्शन लाल को हराया। रेलवे खेल संवर्धन बोर्ड के पूर्व सचिव लोचब ने 27-19 से जीत दर्ज की। राष्ट्रीय राजमार्ग पर ‘फूड ज्वाइंट्स की चेन’ चलाने वाले और प्रदर्शनकारी पहलवानों के करीबी माने जाने वाले देवेंद्र सिंह कादियान ने आईडी नानावटी को 32-15 से हराकर वरिष्ठ उपाध्यक्ष पद पर कब्जा जमाया।
संजय के पैनल ने उपाध्यक्ष के चारों पद अपने नाम किए जिसमें दिल्ली के जय प्रकाश (37), पश्चिम बंगाल के असित कुमार साहा (42), पंजाब के करतार सिंह (44) और मणिपुर के एन फोनी (38) ने जीत हासिल की। मध्य प्रदेश के नए मुख्यमंत्री मोहन यादव को उपाध्यक्ष चुनाव में सिर्फ पांच मत मिले। वह चुनाव के लिए नहीं आए। बृजभूषण के गुट के सत्यपाल सिंह देसवाल नए कोषाध्यक्ष होंगे। उत्तराखंड के देसवाल ने जम्मू-कश्मीर के दुष्यंत शर्मा को 34-12 से हराया। कार्यकारी समिति के पांचों सदस्य भी निवर्तमान अध्यक्ष के गुट से हैं। एशियाई खेलों के दो बार के चैंपियन करतार सिंह ने कहा, ‘‘जो पहलवान पिछले एक साल से प्रदर्शन कर रहे हैं उन्हें वह रास्ता छोड़कर अपने खेल पर ध्यान देना चाहिए। इसी से उन्हें सफलता और नाम मिलेगा।’’
उन्होंने कहा, ‘‘पहलवानों के विरोध से खेल ने पिछले एक साल में काफी नुकसान उठाया है और किसी भी स्तर पर कोई राष्ट्रीय प्रतियोगिता नहीं हुई जिससे सब-जूनियर, जूनियर और सीनियर वर्ग के पहलवान नौकरी और पदोन्नति आदि से वंचित रह गए।’’ चुनावों के नतीजे शीर्ष पहलवानों बजरंग पूनिया, विनेश फोगाट और साक्षी मलिक के लिए निराशाजनक हैं क्योंकि बृजभूषण के खिलाफ उनका विरोध-प्रदर्शन व्यर्थ हो गया। इन्होंने डब्ल्यूएफआई में बदलाव के लिए आक्रामक होकर अभियान चलाया था लेकिन उन्हें कुश्ती जगत का समर्थन नहीं मिला। भारतीय जनता पार्टी के सांसद बृजभूषण का एक करीबी अब अध्यक्ष है। इन शीर्ष पहलवानों ने बृजभूषण पर कथित रूप से जूनियर पहलवानों सहित महिला पहलवानों का यौन उत्पीड़न करने का आरोप लगाया था और समाज के विभिन्न वर्गों से भारी समर्थन जुटाने में कामयाब रहे।
इनका विरोध हालांकि उस दिन विफल हो गया जब उन्होंने 28 मई को नए संसद भवन की ओर मार्च करने की योजना बनाई और दिल्ली पुलिस ने दंगा करने के लिए सभी प्रदर्शनकारियों को जंतर-मंतर से हटा दिया। पहलवानों ने आधिकारिक तौर पर सात जून को अपना विरोध बंद कर दिया था जब खेल मंत्री अनुराग ठाकुर ने उन्हें आश्वासन दिया था कि बृजभूषण के परिवार के किसी भी सदस्य या करीबी सहयोगी को डब्ल्यूएफआई चुनाव में उतरने की अनुमति नहीं दी जाएगी।
नई कार्यकारी परिषद के चुनाव से डब्ल्यूएफआई पर लगे वैश्विक संचालन संस्था यूनाईटेड वर्ल्ड रेस्लिंग (यूडब्ल्यूडब्ल्यू) के प्रतिबंध को हटाने का भी रास्ता साफ हो जाएगा। यूडब्ल्यूडब्ल्यू ने समय पर चुनाव नहीं कराने के लिए डब्ल्यूएफआई पर प्रतिबंध लगा दिया था जिससे भारतीय पहलवानों को 2023 विश्व चैंपियनशिप में तटस्थ खिलाड़ियों के रूप में प्रतिस्पर्धा करने के लिए मजबूर होना पड़ा। चुनाव प्रक्रिया जुलाई में शुरू हो गई थी लेकिन अदालत में विभिन्न मामलों के कारण इसमें देरी हुई। उच्चतम न्यायालय ने हाल ही में पंजाब एवं हरियाणा उच्च न्यायालय द्वारा लगाई गई रोक को रद्द कर दिया जिससे डब्ल्यूएफआई की नई संचालन संस्था के चुनाव की प्रक्रिया का मार्ग प्रशस्त हो गया।
