कानपुर: देररात ठिठुरते लोगों को कम्बल ओढ़ा देती हैं मन्नत मां, कहा- ठंड तक चलता रहेगा यह सिलसिला

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Published By Deepak Mishra
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कानपुर। हाड़ कंपाने वाली ठंड में अपनी गाड़ी में कोई 100 कम्बल लेकर ठिठुरते लोगों को प्यार और सम्मान से गरम कंबल ओढ़ाता है तो उन गुरबों के लिए किसी मसीहा से कम नहीं होता। सड़क के किनारे जैसे-तैसे गुजर-बसर करने वालों को कभी-कभी तो पता ही नहीं चलता को कोई उन्हें कंबल के रूप में राहत दे गया। ये राहत देने वाली कोई और नहीं किन्नर मंगलामुखी मन्नत मां हैं।गरीब-गुरबों की सेवा के उत्साह से लबरेज मन्नत मां यह नेक काम तब शुरू करती हैं जब लोग अपनी रजाइयों में घुसे होते हैं।

रात 11 बजे भैरव घाट पर जब उनकी सफेद गाड़ी रुकती है तो खुले आसमान के नीचे सड़क पर रात गुजारने वाले लोग कनखियों से देखने लगते है। मन्नत मां चुपचाप सहयोगियों की मदद से कंबल निकालती हैं और ओढाने लगती हैं। वह यहीं नहीं रुकती अंत्येष्टि स्थल पर जा पहुंचती हैं। पूछने पर बताती हैं कि 'सुना है मारे ठंड के कोई आदमी चिता के बगल में जाकर लेट गया।' ठंड से बचने की उसकी यह मजबूरी मुझे भीतर तक चीर गईं।

द्रवित हो गयी, और बाजार जाकर सौ कंबल खरीदे। शनिवार/रविवार देर रात यही करती रही। मन्नत मां का कहना है कि जब तक शीत लहर चलती रहेगी वह रोज यह कार्य करेंगी। मेरी सेवा किसी एक इंसान को भी दिली राहत देती है तो मैं सेवा को सार्थक समझूंगी। यह सिलसिला थमना नहीं चाहिए। मुझे खुशी है कि कुछ लोग यह कार्य कर रहे हैं।

 

आपको बता दें कि मन्नत मां किन्नरों की  ऐतिहासिक मसवानपुर गद्दी की गुरु कही जाती हैं। इस गद्दी से भारी संख्या में किन्नर जुड़े हैं। यहां की गुरु रहीं प्रेमाबाई (दिवंगत) के सेवा कार्यों के चलते उनके प्रेमनगर मोहल्ला भी है। दिवंगत गुरु रीना कपूर का भी नाम है। किन्नर मंगलामुखी मन्नत मां बताती हैं कि साधन सुविधाहीन लोगों से दर्द का रिश्ता जुड़ जाता है जो इस ओर हमें मोड़ देता है। इसी को तो मानवीय संवेदना कहते हैं।

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