गोंडा: ई टेंडरिंग में फंसा 18 करोड़ के महर्षि पतंजलि पॉलिटेक्निक केंद्र का संचालन, 12 साल से छात्र छात्राएं कर रहे इंतजार
वर्ष 2021 में सीएम योगी ने किया था केंद्र का लोकार्पण
रमेश पांडेय/करनैलगंज/अमृत विचार। तकनीकी शिक्षा की पढ़ाई करने वाले युवा पिछले 12 सालों से करनैलगंज के सकरौरा ग्रामीण में 18.25 करोड़ रुपये की लागत से बने महर्षि पतंजलि पॉलिटेक्निक केंद्र का संचालन का इंतजार कर रहे हैं। पीपीपी मॉडल पर संचालित होने वाले इस केंद्र का संचालन ई टेंडरिंग में फंसा हुआ है।
वर्ष 2012 में स्वीकृत हुए इस पॉलिटेक्निक केंद्र का वर्ष 2021 में सीएम योगी ने लोकार्पण किया था। लोकार्पण के बाद जिले के युवाओं में तकनीकी दक्षता हासिल करने की उम्मीद बंधी थी लेकिन यह उम्मीद इंतजार बन कर रह गयी है। इस केंद्र का संचालन न होने ने यहां के युवाओं को तकनीकी पढ़ाई के लिए पड़ोसी जिलों का मुंह देखना पड़ रहा है। इससे इन युवाओं में मायूसी है।

क्षेत्र के युवाओं के बौद्धिक विकास व रोजगार सृजन के उद्देश्य से वर्ष 2012 में सपा सरकार ने करनैलगंज को पॉलिटेक्निक केंद्र की सौगात दी थी। पॉलिटेक्निक केंद्र स्थापना की जानकारी पर क्षेत्र के युवाओं में हर्ष था कि अब वह अपने घर के निकट ही तकनीक की पढ़ाई कर सकेंगें। करीब 18 करोड़ की लागत से बनने वाले महर्षि पतंजलि पॉलिटेक्निक एंव सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान के निर्माण की जिम्मेदारी कार्यदायी संस्था उत्तर प्रदेश आवास एंव विकास परिषद को सौंपी गई थी।
कार्यदायी संस्था की शिथिलता से इस केंद्र के निर्माण में ही 9 वर्ष लग गए। वर्ष 2021 में यह केंद्र बनकर तैयार हुआ तो सीएम योगी ने इसका लोकार्पण किया।लोकार्पण के बाद कार्यदायी संस्था ने केंद्र के प्रधानाचार्य प्रथमेश सहाय को भवन हैंड ओवर कर दिया। इसके बाद माना जा रहा था कि अब इसका संचालन हो जायेगा लेकिन सरकार ने इसे पीपीपी मॉडल पर संचालित करने का फैसला कर इसे अधर में अटका दिया।

अब इस केंद्र का संचालन ई टेंडरिंग में फंसा हुआ है। कोई भी निजी संस्था इसमें भागीदारी की रुचि नहीं दिखा रही है। नतीजा यह है कि 18.25 करोड़ की लागत से बना यह व्यावसायिक शिक्षा का केंद्र बदहाल पड़ा है। पूरे परिसर में बड़ी-बड़ी घासें उगी हैं।भवन की रखवाली कर रहे चौकीदार जनकराज ने बताया कि वह अकेले इस बिल्डिंग में रहते हैं। बिजली कनेक्शन भी नहीं है। चुनाव के समय तत्कालीन एसडीएम ने दो चार बल्ब लगवा दिए थे। उन्होंने बताया कि प्रिसिंपल साहब कभी कभार आते है।
14 करोड़ से 18.25 करोड़ पहुंच गयी लागत
वर्ष 2012 में सरकार ने जब इस केंद्र के निर्माण की स्वीकृति दी थी तब इसकी 14.12 करोड़ करोड़ रुपये थी,लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया महंगाई बढ़ती गई उसके हिसाब से तीन बार कीमतों को रिवाइज कराया गया और यह कीमत बढ़ कर 18.25 करोड़ पहुंच गई।
सकरौरा ग्रामीण को एजुकेशन हब बनाने का सपना अधूरा
समाजवादी सरकार में मंत्री रहे योगेश प्रताप सिंह के प्रस्ताव पर शासन से इस केंद्र के निर्माण के लिए स्वीकृति मिली थी और उसी समय इस केंद्र का नाम महर्षि पतंजलि पॉलिटेक्निक सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान रखा गया था। महर्षि पतंजलि के नाम से इस संस्थान के निर्माण पर तमाम सामाजिक संगठनों ने हर्ष व्यक्त किया था। इस संस्थान की स्थापना के बाद से सकरौरा ग्रामीण को एजुकेशन हब के रूप में विकसित किया जाने लगा था। इसी के बगल मत्स्य शोध संस्थान व कृषि महाविद्यालय स्थित है तथा चंद कदम की दूरी पर सरयू डिग्री कॉलेज,आश्रम पद्धति इंटर कॉलेज के साथ-साथ दो अन्य निजी संस्थान संचालित हैं।
तत्कालीन प्राविधिक मंत्री ने किया था शिलान्यास
तहसील मुख्यालय से दो किलोमीटर दूर सकरौरा ग्रामीण में निर्माण की स्वीकृति मिलने के बाद तत्कालीन प्राविधिक शिक्षा मंत्री शिवाकांत ओझा व राज्य मंत्री विधायक योगेश प्रताप सिंह ने इस पॉलिटेक्निक केंद्र की आधारशिला रखी थी। इस केंद्र में मुख्य भवन, कार्यालय, प्रयोगात्मक कक्ष, छात्र-छात्राओं, शिक्षकों व प्रिंसिपल के आवास समेत बाउंड्री का निर्माण कार्य कराया गया है।
कार्यदायी संस्था आवास एवं विकास परिषद ने इस केंद्र को मार्च 2023 में हैंडओवर किया है, लेकिन अभी इसका संचालन नहीं हो सका है। सरकार इसे पीपीपी मॉडल पर चलाना चाहती है। इसके लिए ई-टेंडर की प्रक्रिया प्रचलित है..., प्रथमेश सहाय, प्रिंसिपल, महर्षि पतंजलि पॉलिटेक्निक।
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