Fatehpur: हादसों में बढ़ोत्तरी से बढ़े मरीज फिर भी 30 लाख आबादी पर चार आर्थोपेडिक सर्जन, सीएचसी में मशीनें तो हैं पर विशेषज्ञ नहीं...

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Published By Nitesh Mishra
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फतेहपुर में 30 लाख आबादी पर केवल चार आर्थोपेडिक सर्जन हैं।

फतेहपुर में 30 लाख आबादी पर केवल चार आर्थोपेडिक सर्जन हैं। हादसों में बढ़ोत्तरी होने से हड्डी में टूट फूट के मरीज बढ़ गए हैं।

फतेहपुर, अमृत विचार। दोआबा में दो नेशनल और दो स्टेट हाइवे समेत सड़कों का जाल है। जिले में मार्ग दुर्घटनाओं की संख्या भी दोगुनी हो गई है।हड्डी की टूट फूट के मरीजों में इजाफा है लेकिन करीब 30 लाख की आबादी में सिर्फ चार आर्थोपेडिक सर्जन की तैनाती है। हालात यह है कि जहानाबाद में छोड़कर सीएचसी में आर्थोपेडिक सर्जन नहीं हैं।  ऐसे में जिला अस्पताल पर मरीजों का लोड बढ़ रहा है। सड़क हादसों के कारण हड्डियों के टूटने की घटनाएं आम हैं। हादसे के बाद मरीज को सीएचसी से जिला अस्पताल रेफर करने का चलन सा हो गया है। 

सीएचसी में आर्थोपेडिक सर्जन की मौजूदगी न होने का हवाला देकर मरीजों को जिला अस्पताल भेज दिया जाता है। नतीजन अति गंभीर स्थिति होने पर मरीजों की जान पर बन आती है।

एक्सरे मशीने हैं पर हो कैसे, रेडियोलाजिस्ट तक नहीं

विडंबना यह भी है कि अधिकतर सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों में एक्सरे मशीन स्थापित हैं लेकिन डिजिटल मशीनों के दौर में सामान्य मशीनों से काम लिया जा रहा है। एक्सरे रिपोर्ट तैयार करने के लिए रेडियोलाजिस्ट नहीं हैं। कुछ अस्पतालों में मौजूद एक्सरे मशीनों में तकनीकी खामियां भी बताई जा रही हैं।

वार्ड ब्वाय व फार्मासिस्ट बांधते हैं मरीज के प्लास्टर

दुर्घटनाओं में अंदरूनी हड्डी टूटने पर कभी कभार मरीजों को सीएचसी में ही डील कर लिया जाता है। सूत्र की मानें तो सालों से सेवारत मरीज व फार्मासिस्ट ही विशेषज्ञ डॉक्टर्स की तरह मरीजों का कच्चा पक्का प्लास्टर बांधते हैं। इस स्थिति में मरीजों की हड्डियां बेतुके ढंग से जुड़ जाती हैं और बाद में लाखों रूपए खर्च कर सर्जरी करानी पड़ती है।

फिलहाल किसी डाक्टर की नई नियुक्ति नहीं हुई है। रिक्त पदों को भरने के लिए शासन को कई बार लिखा जा चुका है। जब डाक्टरों की नियुक्ति होगी, तभी हर सीएचसी में ऐसे विशेषज्ञों की भर्ती संभव होगी।                 -डा. इस्तियाक अहमद, एसीएमओ

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