पीलीभीत: बाघिन पकड़ने को शासन ने दी अनुमति, सही लोकेशन मिलते ही होगा रेस्क्यू

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Published By Vikas Babu
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फोटो- बाघिन को देखने जुटी ग्रामीणों की भीड़।

पीलीभीत, अमृत विचार: आतंक का पर्याय बनी बाघिन को जल्द ही रेस्क्यू किया जाएगा। शासन ने बाघिन को पकड़ने के लिए अनुमति दे दी है। इसको लेकर वन महकमे ने तैयारियां शुरू कर दी है। पांच सदस्यीय टीम का गठन किया गया है। वन अफसरों का कहना है कि सही लोकेशन और उचित स्थिति मिलते ही बाघिन को रेस्क्यू किया जाएगा।

कलीनगर क्षेत्र के गांव अटकोना से 26 दिसंबर को एक बाघिन को रेस्क्यू किया गया था। उच्चाधिकारियों के निर्देश के बाद बाघिन को रेडियो कॉलर लगाकर 31 दिसंबर को टाइगर रिजर्व के कोर एरिया में छोड़ा गया। बाघिन की निगरानी को लेकर चार सदस्यीय टीम भी बनाई गई थी।

जंगल में मात्र 12 बिताने के बाद ही बाघिन पुन: रिहायशी इलाकों में जा पहुंची। चार दिन पूर्व बाघिन शहर के असम चौराहे के समीप देखी गई थी। उसी रात बाघिन ने शहर से करीब चार किमी दूर सड़िया गांव में दस्तक दी। यहां बाघिन ने गांव में घुसकर तीन मवेशियों को निवाला बना डाला था।

तब से बाघिन लगातार पांच किमी के दायरे में घूम रही है। इससे इंसानों के साथ बाघिन की सुरक्षा को भी बड़ा खतरा पैदा होता जा रहा है। ग्रामीणों में भी बाघिन को लेकर आक्रोश पनप रहा है। स्थिति को देखते हुए वन अफसरों ने उच्चाधिकारियों को पूरे मामले से अवगत कराया गया। जिसके बाद शासन ने बाघिन को दोबारा रेस्क्यू करने की अनुमति मांगी गई।

इधर सोमवार को शासन ने बाघिन को पकड़ने के लिए मौखिक अनुमति दे दी है। अनुमति मिलने के बाद वन महकमे ने बाघिन को रेस्क्यू करने की तैयारी शुरू कर दी है। इसको लेकर पांच सदस्यीय टीम का गठन किया गया है। वन अफसरों का कहना है कि सही लोकेशन और उचित स्थिति मिलते ही बाघिन को रेस्क्यू किया जाएगा।

कलीनगर क्षेत्र में भी दो माह तक मचाया था आतंक
गांव सड़िया के आसपास घूम रही बाघिन ने कलीनगर क्षेत्र में भी दो माह तक आतंक मचाया था। कलीनगर तहसील क्षेत्र के गांव पिपरिया संतोष, भैंरोकलां, जमुनियां, डगा, कलीनगर, सपहा आदि गांवों में बाघिन को मूवमेंट देखा गया था। इस दौरान बाघिन ने कई मवेशियों को अपना निवाला बनाया था।

हालांकि उस दौरान यह स्पष्ट नहीं हो पा रहा था कि दहशत फैलाने वाला बाघ है या फिर बाघिन। शासन से अनुमति मिलने के बाद जब 26 दिसंबर को रेस्क्यू अभियान चलाया गया, तो पकड़ने के बाद वन अफसरों ने बाघिन होने की पुष्टि की थी और यह भी जानकारी दी थी कि यह वही बाघिन है जो पिछले दो माह से पिपरिया संतोष आदि गांवों में देखी जा रही थी।

मधुडांडी में दी दस्तक, घरों में दुबके ग्रामीण
गांव सड़िया के ईद-गिर्द घूम रही बाघिन सोमवार सुबह करीब दो किमी दूर गांव मधुडांडी में जा धमकी। गांव के कुछ ग्रामीण रोज की तरह गांव के पास ही गन्ने के खेतों की तरफ फसल देखने जा रहे थे। इसी दौरान ग्रामीणों की नजर खेत में बैठी बाघिन पर पड़ी। बाघिन को देखकर ग्रामीण भाग खड़े हुए और गांव आकर खेत में बाघिन होने की जानकारी वन विभाग के साथ-साथ अन्य ग्रामीणों को दी। गांव के पास बाघिन आने की जानकारी मिलते ही अधिकांश ग्रामीण घरों में दुबक गए।

बाद में ग्रामीणों ने हिम्मत जुटाते हुए शोर-शराबा करना शुरू किया। बताते हैं कि शोर-शराबे पर बाघिन पास के ही गन्ने के खेत में चली गई।  ग्राम प्रधान प्रतिनिधि देवी सिंह के मुताबिक बाघिन पास के गन्ने के खेत में चली गई। तबसे बाघिन उसी गन्ने के खेत में जमी हुई है। सूचना मिलते ही सामाजिक वानिकी प्रभाग की टीमें मौके पर पहुंच गई। वनकर्मियों ने ग्रामीणों को सतर्क रहने की अपील की है।

शासन से बाघिन को रेस्क्यू करने की मौखिक अनुमति मिल चुकी है। बाघिन की लगातार मॉनिटरिंग की जा रही है। सही लोकेशन मिलते ही बाघिन को रेस्क्यू किया जाएगा--- नवीन खंडेलवाल, डिप्टी डायरेक्टर, पीटीआर।

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