बदायूं: हज़रत ख़्वाजा गरीब नवाज के उर्स पर सजी महफिल ए जिक्र

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Published By Vishal Singh
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उसहैत, अमृत विचार। मदरसा फैजान ए गौसे आज़म में ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती के 812वें उर्स के मौके पर महफ़िल ए ज़िक्र का आयोजन किया गया। इस अवसर पर मदरसे के प्रबंधक हाफिज मुजफ्फर अली क़ादरी ने तिलावत ए कुरआन से महफ़िल का आगाज़ किया।

उसके बाद आयोजन की सदारत कर रहे नूरानी मस्जिद के इमाम मौलाना अकबर अली क़ादरी ने उनके हयात ए ज़ाहिरी पर रोशनी डालते हुए कहा कि ख्वाजा साहब अपने वक्त में हिंदुस्तान के सबसे बड़े आलिम थे । उनकी पैदाइश 537 हिजरी मतलब 1142 ई. में सीजिस्तान अथवा सीस्तान के इलाके संजर में एक इल्मी घराने में हुआ था। ख्वाजा साहब का इस्मे गिरामी हसन है। आपने लगभग 45 साल तक हिंदुस्तान में तबलीगी की खिदमत को अंजाम देते हुए 6 रजब 627 हिजरी को अजमेर में अपने खालिक ए हकीकी से जा मिले ।

महफिल को खिताब करते हुए हाफिज मंसूरी आलम ने कहा कि खिराज ए अकीदत पेश करते हुए कहा कि हिन्दुस्तान की गंगा जमुनी तहजीब को परवान चढ़ाने में सूफिया इकराम का अहम योगदान रहा है । जिसका आगाज़ ख्वाजा गरीब नवाज ने अजमेर की धरती से किया था। आज हम सबको उनके बताए हुए रास्ते पर चलना चाहिए। इसके अलावा हाफिज ज़ुबैर अशरफी, हाफिज जुनैद मिर्ज़ा, हाफिज नसीम खां, मदरसे के प्रधानाचार्य मुजाहिद अहमद, आदि ने खिराज ए अकीदत पेश की ।

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