अमेठी-रायबरेली की तरफ टिकीं कांग्रेस की नजर, कल राहुल की पहुंच रही न्याय यात्रा के बाद ही साफ होगी सियासी तस्वीर!
राहुल गांंधी की न्याय यात्रा कल पहुंचेगी अमेठी, दोनों सीटों पर टिकट किए दिया जाए इस पर होगा मंथन
अमेठी। राहुल गांधी की भारत जोड़ो न्याय यात्रा 19 फरवरी यानी सोमवार को अमेठी पहुंचेगी। माना जा रहा है कि यात्रा के अमेठी पहुंचने के बाद ही यहां की सियासी तस्वीर साफ होगी। अमेठी और रायबरेली, जिसकी नुमाइंदगी एक लंबे वक्त से गांधी परिवार ही करता रहा है, इस बार अब तक यहां पर दावेदारी साफ नहीं है।
राहुल गांधी साल 2019 में अमेठी से लोकसभा चुनाव हारने के बाद से अब तक महज तीन बार ही अमेठी पहुंचे हैं। राहुल गांधी यहां से चुनाव हारने के कुछ दिन बाद अमेठी पहुंचे थे। इसके बाद वह साल 2021 में एक बार महंगाई के खिलाफ हुई पदयात्रा में हिस्सा लेने आए थे। उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों में भी वह प्रचार करने पहुंचे थे। यही राहुल गांधी का अमेठी में आखिरी दौरा था।
तकरीबन पांच साल तक यूपी की प्रभारी रहीं प्रियंका गांधी भी अधिकृत तौर पर पूरे कार्यकाल में 3-4 बार ही अमेठी आईं। इस वजह से यह कयास लगाए जा रहे हैं कि शायद अब राहुल गांधी अमेठी से चुनाव न लड़ें। हालांकि फिलहाल स्थितियां बदलती हुई दिख रही हैं। अमेठी के तमाम कांग्रेस कार्यकर्ता इस बात के लिए आशान्वित हैं कि राहुल गांधी अमेठी से चुनाव लड़ेंगे। वह बताते हैं कि तैयारियां चल रही हैं।
रात्रि विश्राम के वक्त चर्चा होने पर स्थित होगी साफ
सूत्र बताते हैं कि अमेठी के फुरसतगंज में जब यात्रा को रात्रि विश्राम दिया जाएगा तब अमेठी कांग्रेस के लोगों के साथ राहुल गांधी की चर्चा होगी। वहां कांग्रेस कार्यकर्ताओं की मानें तो जिस तरह से इस यात्रा में अमेठी और रायबरेली को मिलाकर दो दिन का समय दिया गया है, उससे साफ है कि कांग्रेस इस क्षेत्र को उम्मीद भरी नजरों से देख रही है। प्रदेश में भले ही कांग्रेस की स्थिति ज्यादा बेहतर न हो, लेकिन अमेठी और रायबरेली से जीत इतनी भी मुश्किल नहीं है। बताया जा रहा है कि राहुल के अमेठी पहुंचने और स्थानीय लोगों से मुलाकात के बाद यहां इस बात के संकेत स्पष्ट हो जाएंगे कि राहुल अमेठी से दावेदारी करेंगे या नहीं।
अमेठी-रायबरेली से दूरी बनेगी कांग्रेस के लिए जोखिम?
भले ही 2019 की हार के बाद राहुल गांधी ने अमेठी से अपेक्षाकृत ज्यादा दूरी बनाए रखी है, लेकिन सूत्र दावा करते हैं कि 2024 के चुनाव में वह इससे शायद ही दूर रहें। वजह बताते हुए वह कहते हैं कि अगर अपनी परंपरागत सीट पर भी गांधी परिवार मैदान में नहीं उतरता है तो इसका अच्छा संदेश पूरे यूपी में नहीं जाएगा।
इससे कांग्रेस की कोशिशों को झटका लगेगा। हालांकि जब राहुल गांधी वापस अमेठी आते हैं और प्रियंका रायबरेली से लड़ेंगी तो इससे न केवल इन दो सीटों पर बल्कि यूपी के सियासी माहौल पर असर होगा। लिहाजा यहां से दूरी बनाए रखने का जोखिम कांग्रेस कभी भी नहीं लेना चाहेगी। यही नहीं, गांधी परिवार इन सीटों पर अपने करीबी को भी लड़ाने का जोखिम नहीं लेगा। क्योंकि उससे व्यापक संदेश नहीं दिया जा सकेगा।
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