हल्द्वानी: बिलासपुर में एक सप्ताह से 'लावारिस' खड़ी निगम की अनुबंधित बस

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Published By Bhupesh Kanaujia
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हल्द्वानी, अमृत विचार। इसे परिवहन निगम की लापरवाही कहें या अनुबंधित बस स्वामी की गैरजिम्मेदारी कि निगम की अनुबंधित बस पिछले एक सप्ताह से बिलासपुर में 'लावारिस' खड़ी है और कोई उस ओर झांकने तक नहीं गया।
लगभग एक सप्ताह पहले हल्द्वानी डिपो की दिल्ली जाने वाली अनुबंधित बस से बिलासपुर के पास एक बाइक सवार को टक्कर लग गई जिससे बाइक सवार की मौके पर ही मौत हो गई थी।  

इसके बाद स्थानीय पुलिस ने घटना स्थल से चालक व परिचालक को हिरासत व बस को भी अपने कब्जे में ले लिया था। 
अनुबंध के नियमों के अनुसार, परिचालक इसके लिये जिम्मेदार नहीं हैं लेकिन इस केस में परिचालक को भी हिरासत में लिया गया और डिपो के अधिकारियों की संवेदनहीनता के कारण उसे पूरी रात हवालात में बितानी पड़ी।

अगले दिन डिपो के एक परिचालक ने मानवता दिखाते हुए उसकी जमानत करवाई। पीड़ित कर्मचारी का कहना है कि डिपो के अधिकारियों से उसे कोई मदद नहीं मिली जबकि परिचालक की सुरक्षा की जिम्मेदारी संबंधित अधिकारियों की होती है।  परिचालकों का कहना है कि जब निगम के अधिकारी ही उनका सहयोग नहीं करेंगे तो वे अनुबंधित बसों में कैसे ड्यूटी करेंगे। उन्होंने निगम के अधिकारियों के प्रति अपनी नाराजगी भी जताई।

इधर, निगम के अधिकारियों ने बताया कि अनुबंधित बसों के लिये नियम है कि यदि किसी दुर्घटना या अन्य कारण से चालक को हिरासत में लिया जाता है तो जमानत के लिये संबंधित बस स्वामी जिम्मेदार होता है।

पिलखुआ मामले में चार दिन मिली थी जमानत
लगभग दो सप्ताह पहले पिलखुआ के पास भी एक अनुबंधित बस दुर्घटनाग्रस्त हुई थी, जिसमें चालक और बस को हिरासत में लिया गया, जिसके चार दिनों बाद स्वामी ने चालक और बस को जमानत पर छुड़वा लिया था लेकिन बिलासपुर वाले केस में दस दिन बाद भी बस की जमानत नहीं की गई है, जिससे परिवहन निगम को आर्थिक नुकसान होने के साथ उसकी छवि भी खराब हो रही है।


सुरक्षा कारणों से परिचालक को पुलिस ले गई थी। बाद में उसे जमानत पर छोड़ दिया। चालक और बस को छुड़ाने के लिये अनुबंधित बस स्वामी जिम्मेदार होता है।  बस स्वामी ने चालक की जमानत तो करवा दी लेकिन बस की जमानत नहीं की गई है।
- सुरेंद्र सिंह बिष्ट, एआरएम, हल्द्वानी डिपो