Good news: शुआट्स में केले के पत्ते से बनाये बैग को मिला पेटेंट, पर्यावरण को होगा फायदा 

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Published By Jagat Mishra
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नैनी/ प्रयागराज, अमृत विचार। भारत सरकार के पेटेंट कार्यालय ने सैम हिगिनबॉटम यूनिवर्सिटी ऑफ एग्रीकल्चर, टेक्नोलॉजी एंड साइंसेज (शुआट्स), प्रयागराज को 'हर्बल टी बैग और उसकी तैयारी की विधि' नामक आविष्कार के लिए पेटेंट प्रमाण पत्र प्रदान किया है। आविष्कारक ई. विनोद कुमार वर्मा और डॉ. संजोग जे. शुआट्स के वॉग इंस्टिट्यूट ऑफ एग्रीकल्चरल इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (वीआईएईटी) के मैकेनिकल इंजीनियरिंग विभाग में सहायक प्रोफेसर के पद पर कार्यरत हैं। 

आविष्कारकों ने चाय बैग बनाने के लिए प्राकृतिक रूप से उपलब्ध सामग्रियों का उपयोग करने की संभावना का पता लगाया। यह सामग्री प्राकृतिक रूप से जैव-निम्नीकरणीय और पर्यावरण-अनुकूल होने के अलावा मानव उपयोग के लिए हानिरहित है। व्यापक खोज से पता चला कि केले के पत्तों का उपयोग औषधीय गुणों के अलावा खाद्य पदार्थों की तैयारी और खाद्य सामग्री को लपेटने में भी किया जा रहा था। इसलिए केले के पत्तों के असंख्य उत्साहवर्धक लाभों और बड़ी मात्रा में उनकी आसानी से उपलब्धता को ध्यान में रखते हुए केले के पत्तों का उपयोग करके एक हर्बल टी बैग डिजाइन कर तैयार किया गया था। कटे हुए केले के पत्तों को साफ करके सुखाया गया और विशिष्ट तरीके से छेद किया गया। बाद में केले के पत्ते को मोड़ा गया और उसमें लंबी चाय की पत्तियां भरकर रेशे की दिशा में सिलाई की गई। केले के पत्ते के टी बैग की डोरी भी केले के पत्ते के रेशे से बनाई गई थी। केले की पत्तियों के ज्ञात स्वास्थ्यवर्धक तत्व लंबी चाय की पत्तियों के स्थापित लाभों के साथ मिलकर दुनिया भर में एक ताज़ा लोकप्रिय स्वस्थ पेय साबित हो सकते हैं। 

यदि केले के पत्तों से बने टी बैग को बड़े पैमाने पर व्यावसायिक रूप से अपनाया जाता है, तो केले के पौधे की खेती का अर्थशास्त्र और अधिक लाभदायक होने की उम्मीद है। शुआट्स के निदेशालय आईपीसी ने आवेदन जमा करने और पेटेंट कार्यालय से पेटेंट प्राप्त करने के लिए आवश्यक प्रक्रियाओं को पूरा करने में सहायता की।

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