Bareilly News: बसपा ने बदला चुनाव लड़ने और लड़ाने का तौर तरीका, मुस्लिम वोट खींचकर लाने वाले प्रत्याशी को पार्टी अब देने लगी पैसे
आसिफ अंसारी, बरेली, अमृत विचार। पिछले कुछ सालों में बसपा का सोशल इंजीनियरिंग का फार्मूला ही नहीं बदला, बल्कि चुनाव लड़ने और लड़ाने का तौर तरीका भी बदल गया है।
किसी समय पैसे लेकर टिकट बांटने के आरोपों में घिरी रहने वाली बसपा अब अपने प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने के लिए पैसे भी देने लगी है, बशर्ते उसमें मुस्लिम वोटों को खींचकर लाने की क्षमता हो। हाल ही में मेयर चुनाव के दौरान भी पार्टी की ओर से प्रत्याशी की आर्थिक मदद की गई थी। पार्टी के पदाधिकारी भी इसकी पुष्टि कर रहे हैं।
बसपा की राजनीति बदलने के साथ उसके सोशल इंजीनियरिंग के फार्मूले में अब दलित और मुस्लिम वोटों पर ही जोर रह गया है। दलितों से भी ज्यादा मुस्लिम वोटों पर जोर है। मेयर चुनाव में बसपा प्रमुख मायावती की ओर से पार्टी पदाधिकारियों को खासतौर पर निर्देश जारी किया गया था कि वे किसी मजबूत मुस्लिम प्रत्याशी का चयन करें।
इसके बाद कई ऐसे दावेदारों को नजरंदाज कर मोहम्मद यूसुफ को प्रत्याशी घोषित कर दिया गया था जो लंबे समय से पार्टी से जुड़े हुए थे। यूसुफ को टिकट देने के फैसले के खिलाफ पहली बार पार्टी कार्यालय पर जमकर हंगामा हुआ। दूसरे दावेदारों ने अपने समर्थकों के साथ यूसुफ को बाहरी बताते हुए जमकर विरोध जताया था। इसके बाद भी यूसुफ को टिकट देने के फैसले पर हाईकमान टस से मस नहीं हुआ।
अब लोकसभा चुनाव से पहले इस बार भी ऊपर से साफ किया गया है कि पार्टी का फोकस दलित-मुस्लिम वोटों पर ही रहेगा लिहाजा मुस्लिम वोटों पर पकड़ रखने वाले प्रत्याशी को वरीयता दी जाएगी। मगर इससे भी ज्यादा दिलचस्प यह है कि पार्टी ने यह भी संकेत दिया है कि वह अपने उम्मीदवार की चुनाव लड़ने के लिए आर्थिक मदद भी करेगी। बताया जा रहा है कि मेयर चुनाव में पार्टी की ओर से पांच लाख रुपये की मदद की गई थी।
लोकसभा चुनाव में भी प्रत्याशियों को चुनाव लड़ने के लिए 30-30 लाख रुपये देने की पार्टी की योजना है। मोहम्मद यूसुफ भी स्वीकार करते हैं कि चुनाव में उनकी मदद की गई थी। बसपा जिलाध्यक्ष राजीव कुमार सिंह का भी कहना है कि पार्टी अपने प्रत्याशी की मदद करती है। क्या और कितनी मदद की जाती है, यह पार्टी का अंदरूनी मामला है।
बरेली से पांच, आंवला से आठ आवेदन जिलाध्यक्ष को मायावती ने बुलाया
जिलाध्यक्ष राजीव कुमार सिंह के मुताबिक जिले की दोनों सीटों पर बसपा के टिकट के लिए लगातार आवेदन आ रहे हैं। आंवला सीट के लिए अब तक आठ और बरेली सीट के लिए पांच आवेदन आए हैं। आवेदन प्रक्रिया पूरी होने के बाद पार्टी दमदार चेहरे का चयन करेगी। उन्होंने बताया कि टिकट लगभग फाइनल हो चुका है लेकिन इस बारे में अंतिम फैसला बसपा प्रमुख मायावती ही करेंगी। बसपा प्रमुख ने शनिवार को उन्हें लखनऊ बुलाया है। संभवत: वह उसी दिन पार्टी प्रत्याशी का नाम फाइनल कर देंगी।
सपा के साथ लड़ा 2019 का लोकसभा चुनाव, दोनों ही सीटों पर हार गए
बसपा की रणनीति की कहानी इससे भी साफ हो रही है कि उसने लोकसभा सभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के न्योते के बावजूद उसमें शामिल होने से इन्कार कर अकेले चुनाव लड़ने का एलान किया है। हालांकि पिछला चुनाव सपा के साथ गठबंधन कर लड़ा था।
बरेली से सपा ने भगवत सरन गंगवार को प्रत्याशी बनाया था जो भाजपा के सांसद संतोष गंगवार से हार गए थे। बसपा ने आंवला में रुचिवीरा को चुनाव लड़ाया था। वह भी भाजपा के धर्मेंद्र कश्यप से हार गई थीं। पिछले साल मेयर चुनाव में मोहम्मद यूसुफ को करीब 17 हजार वोट मिले थे। 2017 में भी उन्होंने मेयर का चुनाव लड़ा था, तब उन्हें 30 हजार वोट मिले थे।
आंवला और बरेली में अब तक 13 आवेदन आए हैं। टिकट का फैसला बसपा सुप्रीमो करेंगी। उन्होंने शनिवार को मुझे लखनऊ बुलाया है। पार्टी ने लोकसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। - राजीव कुमार सिंह, जिलाध्यक्ष बसपा
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