Speical News: प्रभु श्रीराम व भोलेबाबा को 18वीं शताब्दी से है अपने मंदिरों के जीर्णोद्धार का इंतजार; देखरेख के अभाव में जर्जर हुए प्राचीन मंदिर

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Published By Deepak Shukla
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उन्नाव, पुनीत अवस्थी। एक ओर जहां केंद्र की मोदी व प्रदेश की योगी सरकारें प्रदेश भर के छोटे-बड़े मंदिरों का जीर्णोद्धार कराकर भव्य रूप दे रहीं हैं। वहीं दूसरी ओर गंगाघाट क्षेत्र के शंकरपुर सरांय गांव में दो शताब्दी पूर्व बने प्राचीन बाबा विश्वनाथ मंदिर जो मोती शिवाला के नाम से जाना जाता हैं और उसके पास बना राम मंदिर देखरेख के आभाव में जर्जर हो गया है। 

बता दें कि 18वीं शताब्दी में शंकरपुर सरायं गांव निवासी मोती लाल ने भव्य शिव व राम मंदिर का निर्माण कराया था। जिसके चलते मंदिर को मोती शिवाला व बाबा विश्वनाथ मंदिर के नाम से जाना जाता है। उनका परिवार मंदिर परिसर में पूजा-पाठ व भजन-कीर्तन करता चला आ रहा था। मोतीलाल के निधन होने के बाद उनका परिवार लखनऊ चला गया। जिसके बाद मंदिर में भक्तों के आने का सिलसिला धीरे-धीरे कम होता गया। 

शिव मंदिर उन्नाव

गांव के बड़े-बुजुर्ग बताते हैं कि 50-55 वर्ष पूर्व गर्मियों की दोपहर हो या आधी रात अचानक मंदिर से घंटे बजने की आवाजें आती थीं। गांव के दीपनारायण, राम, धर्मेंद्र त्रिवेदी व विमलकान्त बताते हैं कि पास के दूसरे शिव मंदिर मे कानपुर के निवासी दंडी स्वामी जी निवास करते थे। वे कभी-कभी भगवान के दर्शन करने आते थे। जिनका एक बार किसी दिव्यात्मा से साक्षात्कार हुआ था। 

वो दिव्यात्मा आज भी मंदिर परिसर में स्थित पीपल के पेड़ पर निवास करती है। जो आज भी रोज रात्रि भगवान शिव और हनुमान जी के दर्शन करने जाती है। वहीं गांव के अनुराग बाजपेयी बताते हैं कि उन्हीं के आदेश पर दंडी स्वामी ने शंकरपुर निवासी उनके चाचा स्व. विजय कुमार बाजपेयी से मंदिर परिसर मे साफ-सफाई, चबूतरे का निर्माण, रसोई आदि निर्माण कराकर रंगरोगन कराया और नए सिरे से पूजा-पाठ शुरू कराया था। 

इसके बाद से लोगों ने मंदिर में फिर से पूजन-पाठ शुरू किया था। इसके बाद हर वर्ष शिवरात्रि पर अभिषेक और भंडारा होने लगा। विजय बाजपेयी के असमय निधन होने के बाद सन-1995 में गांव के अशोक बाजपेयी ने काफी समय तक मंदिर के लिए कार्य किया।

शिव मंदिर में यह प्रतिमाएं हैं विराजमान  

शिव मंदिर में शिव परिवार के साथ नंदी, हनुमान जी, मां दुर्गा व विष्णु भगवान विराजमान हैं। इसके अलावा  पास के राम मंदिर में राम दरबार बना है। देखरेख के भाव में परिसर की बाउंड्री पूरी तरह गिर चुकी है।

ट्रांस गंगा सिटी से जुड़ा हुआ है मंदिर

मंदिर सरकार की बहुआयामी योजना ट्रांस गंगा सिटी से जुड़ा हुआ है। उसकी जमीन का अधिग्रहण भी हो चुका है। जिसका 22.25 लाख मुआवजा भी मिला था। इतना ही नहीं मंदिर के नाम एक विकसित भूखण्ड भी है जिसकी कीमत करोड़ों में है। लेकिन वो भी विवादों मे फंसा है। ग्रामीणों कहना है कि शासन को उसी धन को उपयोग में लाकर मंदिर का जीर्णोद्धार कराना चाहिए। 

भव्य नक्काशियां दिलाती हैं पुरानी कलाकारी की याद 

प्रभु श्रीराम व शिव मंदिर के गुंबदों में विशेष नक्काशी के साथ प्राचीन कलाओं से युक्त गुंबद बने हैं। जिसमें नवग्रह समेत तमाम प्रकार की मूर्तियां भी बनी हुई हैं। जो आज भी पुरानी कलाकारी की याद दिलाती हैं।  

जीर्णोद्धार न होने से हो सकता है हादसा 

गांव के बसंत लाल तिवारी व उनके बेटे संजय तिवारी मंदिर के पुजारी हैं और वे मंदिर में पूजन करते हैं। इतना ही नहीं यहां के प्रमुख त्योहार मंदिर में ही धूमधाम से मनाये जाते हैं। इसके साथ ही पास में योग कक्षाएं भी चलती हैं। मंदिरों के जर्जर होने से कभी भी बड़ा हादसा होने की आशंका बनी रहती है। 

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