लखनऊ: मरीज भूख से था परेशान, मांगने पर भी नहीं मिल रहा था खाना, वजह जानकर हैरान रह जाएंगे आप!, देखें video

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Published By Sachin Sharma
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लखनऊ, अमृत विचार। डॉक्टर साहब, मेरा मरीज कई दिनों से आपके अस्पताल में भर्ती है, उसे भूख लगती है लेकिन वहां मौजूद डाक्टर उसे खाना खाने नहीं देते, लगता है हमारे मरीज की अनदेखी हो रही है। यह सवाल एक मरीज के परिजन ने बुधवार को विश्व हेड इंजरी दिवस के अवसर पर एपेक्स ट्रामा सेंटर में आयोजित चर्चा कार्यक्रम के दौरान डॉक्टरों से पूछा। जिस पर वहां मौजूद डॉक्टरों ने जो कहा वह हर किसी को जानना चाहिए।

परिजनों के सवालों का जवाब देते हुए एपेक्स ट्रामा सेंटर के प्रभारी प्रोफेसर एके श्रीवास्तव ने बताया कि जिस तरह सिर में चोट लगने के दौरान शरीर के अन्य हिस्से पैरालाइज हो जाते हैं, ठीक उसी तरह पेट भी पैरालिसिस का शिकार होता है। उसके अंग भी उतने बेहतर तरीके से काम नहीं करते, जिस तरह से खाना पचाने के लिए करने की आवश्यकता होती है। इसलिए मरीज को मुंह से भोजन न देकर ड्रिप के माध्यम से न्यूट्रीशन पहुंचाया जाता है और समय-समय पर पेट की जांच की जाती है।

जब पेट के अंग इस काबिल हो जाते हैं कि वह खाने को बेहतर तरीके से पचा सके तभी मरीज को मुंह के जरिए भोजन दिया जाता है। इसलिए जब भी डॉक्टर खाने के लिए मना करें तो उसे मरीज की अनदेखी न समझा जाए बल्कि यह इलाज का एक तरीका होता है इससे मरीजों को लाभ होता है।

दरअसल, संजय गांधी पीजीआई के शारीरिक चिकित्सा और पुनर्वास विभाग (Physical medicine and rehabilitation) की तरफ़ से सिर की चोट को लेकर बुधवार को कार्यशाला का आयोजन किया गया। इस कार्यशाला का आयोजन विश्व सिर चोट दिवस के अवसर पर न्यूरो सर्जरी विभाग के सहयोग से किया गया था।

फिजिकल मेडिसिन एंड रिहैबिलिटेशन विभाग के प्रो. सिद्धार्थ राय ने बताया कि 20 मार्च को विश्व सिर चोट दिवस के अवसर एक पैनल चर्चा का आयोजन किया जा रहा है। इस अवसर पर  प्रो अरुण श्रीवास्तव, चीफ एटीसी और अन्य डॉक्टरों और पैरामेडिक्स की टीम सिर की चोट से पीड़ित मरीजों और उनकी देखभाल करने वालों के साथ चर्चा की है। इससे मरीज और उनके परिजनों को अपने सवालों का जवाब मिला है।

डाक्टर के साथ सीधे संवाद कार्यक्रम में बड़ी संख्या में हेड इंजरी और स्पाइनल कॉर्ड इंजरी के पेशेंट और उनके परिजनों ने हिस्सा लिया। 

इस कार्यक्रम के मुख्य अतिथि ट्रामा सेंटर के प्रभारी प्रो ए के श्रीवास्तव ने मरीजों से उनके सुधार के संबंध में जानकारी ली , उन्हे फूल देकर उनका हौसला बढ़ाया और बताया की हम यहां कम लागत में अधिक से अधिक चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराते है। 

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अस्पताल प्रशासन विभाग के एचओडी डा हर्षवर्धन ने इस प्रकार के कार्यक्रम को लगातार आयोजित करने की सलाह दी। जिससे लोग जागरुक हो सके।

PMR विभाग के प्रमुख डा सिद्धार्थ राय ने पुनर्वास चिकित्सा के शीघ्र शुरू करने को कहा। उन्होंने बताया कि इससे ज्यादा गुणवत्ता पूर्ण सुधार संभव होता है।

डा. स्निग्धा ने मरीजों को बताए गए सुझावों पर अमल करने और धैर्य के साथ लगातार कोशिश करने पर जोर दिया।
डॉ ब्रजेश त्रिपाठी,डा मधुकर और डा कमल ने मरीज की  आईसीयू में भर्ती के समय और उसके  डिस्चार्ज के बाद की जरूरी फिजियोथेरेपी की जानकारी दी। जिसमें मरीज के श्वसन प्रणाली, हाथ पैर की कमजोरी दूर करने, जोड़ों के जाम होने की समस्या,पेशियों की कमजोरी को ठीक करने के लिए आसान एक्सरसाइज की जानकारी शामिल रही। जिससे मरीज आत्मनिर्भर बन सके। डा. अंकिता ने मरीजों के स्वतंत्र दिनचर्या में सुधार लाने के लिए मतवपूर्ण टिप्स दिए।

इस चर्चा का उद्देश्य सिर की चोट, उसके निदान और उपचार योजना के बारे में जागरूकता फैलाना है। पुनर्वास चिकित्सा का उद्देश्य रोगियों को उनकी दैनिक गतिविधियों में यथासंभव आत्मनिर्भर बनाना और उन्हें जल्द से जल्द समाज की मुख्यधारा में जोड़ना है।

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