बढ़ती धोखाधड़ी

बढ़ती धोखाधड़ी

दक्षिण पूर्व एशिया के कई देशों में हजारों भारतीय संदिग्ध नौकरियों में फंसे हैं। विदेश मंत्री एस.जयशंकर ने शनिवार को कहा कि लाओस में जबरन गैर-कानूनी और खतरनाक काम में फंसाए गए 17 भारतीय कामगार घर लौट रहे हैं। लाओस भारत के विस्तारित पड़ोस का एक हिस्सा है क्योंकि केवल म्यांमार, लाओस को भारत के उत्तर-पूर्व राज्यों से अलग करता है।

इससे पहले विदेश मंत्रालय ने कंबोडिया में साइबर धोखाधड़़ी के काम में जबरन लगाए गए भारतीयों को लेकर एक परामर्श जारी किया था क्योंकि हजारों भारतीय खुद को म्यांमार और कंबोडिया में फंसा हुआ पाते हैं, जहां उन्हें ऑनलाइन धोखाधड़ी व अन्य धोखाधड़ी करने के लिए मजबूर किया जा रहा है।

विदेश मंत्रालय कंबोडियन अधिकारियों के साथ मिलकर ऐसे 250 और म्यांमार से लगभग 30 भारतीयों का पता लगाने और उन्हें बचाने में कामयाब रहा है। पिछले तीन माह में 75 भारतीयों को रेस्क्यू भी किया गया है। साइबर अपराधियों का गिरोह पूरे एशिया में जाल बिछा चुका है। सबसे पहले कंबोडिया में नजर आया।

गिरोह भारत व मलेशिया समेत एशियाई देशों के तकनीकी रूप से कुशल युवाओं को निशाना बना रहे हैं। विशेषज्ञ कहते हैं कि जिन लोगों को धोखाधड़ी के जरिए विदेश ले जाया जाता है उन्हें कंबोडिया, म्यांमार और लाओस के जुआघरों में रखा जाता है।

एशिया ह्यूमन राइट्स वॉच के उप निदेशक फिल रॉबर्टसन ने हाल ही में  कहा कि गिरोहों ने कुशल तकनीक पसंद लोगों को निशाना बनाया है जिनकी नौकरियां महामारी के दौरान चली गई थीं। नई नौकरी पाने को बेताब ये लोग झांसों में आ गए। वास्तव में भारतीय नागरिकों की म्यांमार और कंबोडिया जैसे देशों में नौकरी करने की बेताबी भारत में रोजगार परिदृश्य की गंभीर स्थिति का आईना है।

गौरतलब है 2023 में संयुक्त राष्ट्र की एक रिपोर्ट में उल्लेख था कि लाखों लोगों को साइबर फ्रॉड की दलदल में धकेला गया है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया था कि इनमें से ज्यादातर शिकार एशिया के ही दूसरे देशों से जुड़े हैं। रिपोर्ट कहती है कि साउथ ईस्ट एशिया में इस तरह के साइबर फ्रॉड बढ़ने के पीछे कोविड के दौरान लोगों का घर की चारदीवारी तक कैद होना और ऑनलाइन गतिविधियों पर ज्यादा वक्त गुजारना है।

अब धोखाधड़ी वाले कॉल सेंटरों के संचालकों पर कार्रवाई तेज करने की जरूरत है। भारत का अधिकांश आसियान देशों के साथ अच्छा संबंध है, सबको यह सुनिश्चित करना होगा कि ऑनलाइन/फोन घोटालों के बारे में उसकी सलाह हितधारकों के बीच व्यापक रूप से प्रसारित हो। सरकारों के बीच घनिष्ठ समन्वय और सूचनाओं का नियमित आदान-प्रदान अपराधियों को रोकने में प्रभावी हो सकता है।