कासगंज: विलुप्त होती गिद्ध की प्रजाति को एक साथ देख ग्रामीणों में कौतूहल, उमड़ी भीड़ 

गिद्धों का झुंड हरथरा गांव पहुंचा

कासगंज: विलुप्त होती गिद्ध की प्रजाति को एक साथ देख ग्रामीणों में कौतूहल, उमड़ी भीड़ 

अमापुर /कासगंज, अमृत विचार। रामायण काल से चर्चा में आए गिद्ध की प्रजाति धीमे-धीमे संरक्षण के अभाव में विलुप्त होती जा रही है, लेकिन अब अमापुर क्षेत्र के गांव में बड़ी संख्या में गिद्ध एक वृक्ष पर देखे गए तो ग्रामीणों में कौतूहल दिखाई दिया। बड़ी संख्या में ग्रामीण और किसान गिद्धों की प्रजाति को निहारने पहुंच गए और तरह-तरह की चर्चाएं कर रहे थे।

गांव हरथरा में सोमवार को सोमवती अमावस्या के दिन यूकेलिप्टस के पेड़ पर गिद्धों का झुंड लोगों के लिए कौतूहल का विषय बने हुए है। दर्जनों की संख्या में उपस्थित गिद्धों को देखने के लिए आसपास के साथ राहगीरों की भीड़ उमड़ रही है। कुछ बुजुर्गों का कहना है गिद्धों की मौजूदगी वायुमंडल के स्वच्छ होने का प्रतीक है। तेजी से लुप्त हो रहे गिद्धों के इतने बड़े झुंड को देखकर पर्यावरण प्रेमियों में खुशी हैं। यूकेलिप्टस के पेड़ पर गिद्ध देखे जाने का वीडियों तेजी से सोशल मीडिया पर वायरल हो रहा हैं। 

ग्रामीण शिव शंकर वाशिष्ठ ने बताया कि सोमवती अमावस्या के दिन लुप्त हो रहे गिद्धों को अचानक से देखे जाने का मतलब किसी चमत्कार से कम नहीं हैं और गिद्धों के राजा प्रभु श्रीराम के सेवक थे और जटायु (गिद्ध) ही थे जो भगवान श्रीराम की पत्नी माता सीता को बचाने के लिए रावण से लड़ कर अपने प्राण की आहुति दे दी। इस दौरान लोगों ने जय श्रीराम के नारे भी लगाए।

सोमवार की सुबह गिद्धों का यह झुंड गांव के यूकेलिप्टस के पेड़ पर देखने को मिला। गिद्धों की मौजूदगी को पहले तो लोगों ने किसी अन्य पक्षियों का झुंड समझा, लेकिन लेकिन गिद्ध के समूह जब आसमान में मडराने लगे तो लोग हैरान हो गए। वहां भीड़ इकट्ठी हो गई। उन्हें देखने के लिए आसपास के गांव के लोग पहुंच गए। भीड़ को देखकर राहगीरों के हर छोटे व बड़े वाहन भी रुकने लगे।

बुजुर्गों ने बताया कि करीब दो दशक पहले अचानक गिद्धों की संख्या कम होने लगी। बीच में तो इन्हे विलुप्त मान लिया गया था। अब एक बार फिर से गिद्ध देखने को मिले हैं। कुछ युवाओं ने बताया कि वह तो परिवार के लोगों से ही इस पक्षी के बारे में सुने थे। कुल मिलाकर जनपद में गिद्धों की मौजूदगी चर्चा का विषय बनी हुई है।

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