Chaitra Navratri 2024: घोड़े पर सवार होकर आ रही है देवी मां, ऐसे अराधना करने से बन जाएंगे सारे काम

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Published By Vishal Singh
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विधि विधान से पूजा-अर्चना करने से होती है मनोकामना पूरी

कासगंज, अमृत विचार। विधि विधान पूर्वक नवरात्रि पर पूजा अर्चना करने से मनोकामना पूरी होती है। नियमानुसार व्रत रखें और माता रानी की विधिवत पूजा अर्चना करें। यह सलाह सोरोंजी के पुरोहित ने दी है। उन्होंने कहा है कि इस बार माता रानी घोड़े पर सवार होकर आ रही हैं।

पुरोहित राहुल वाशिष्ठ ने बताया कि नवरात्र चैत्र, आषाढ़, आश्विन और माघ की शुक्ल प्रतिपदा से नवमी तक नौ दिन के होते हैं; परन्तु प्रसिद्धि में चैत्र और आश्विन के नवरात्र ही मुख्य माने जाते हैं। इनमें भी देवीभक्त आश्विन के नवरात्र अधिक करते हैं। इनको यथाक्रम वासंती और शारदीय कहते हैं। इनका आरंभ चैत्र और आश्विन शुक्ल प्रतिपदा को होता है। घटस्थापन का समय प्रातःकाल है। यदि उस दिन चित्रानक्षत्र या वैधृतियोग हो तो घटस्थापन मध्याह्नकाल के समय अभिजित् मुहूर्त में करें। 

देवीभागवत के तीसरे स्कंध में व्यास जी कहते हैं कि आत्मकल्याण के इच्छुक मनुष्यों के लिए यह व्रत अवश्यकरणीय है। इस व्रत में कुमारी पूजन का बहुत महत्त्व है। दो वर्ष से दस वर्ष तक की कन्याओं का इस व्रत में पूजन करना चाहिए; किन्तु रजस्वला का पूजन नहीं करना चाहिए। स्त्री हो या पुरुष सबको नवरात्र करना चाहिए। यदि किसी कारणवश स्वयं न कर सकें तो प्रतिनिधि द्वारा कराएं। नवरात्र नौ रात्रि पूर्ण होने से पूर्ण होता है। यदि नवरात्रों में घटस्थापन करने के बाद अशौच (सूतक) हो जाय तो कोई दोष नहीं, परन्तु पहले हो जाय तो पूजनादि स्वयं न करें।

नवरात्र व्रत विधान
नवरात्रों में देवी का पंचोपचार, दशोपचार, षोडशोपचार, राजोपचार या यथोपचार पूजन करें। प्रतिदिन कन्याओं को गंध-पुष्पादि से अर्चित करके भोजन कराएं फिर स्वयं भोजन करें। व्रती को चाहिए कि नवरात्रों में भूशयन, अल्पभोजन, ब्रह्मचर्य का पालन, क्षमा, दया, उदारता एवं उत्साहादि की वृद्धि और क्रोध, लोभ, मोहादि का त्याग रखें। इस प्रकार नौ रात्रि व्यतीत होने पर दसवें दिन प्रातःकाल में विसर्जन करें तो सब प्रकार के विपुल सुख-साधन सदैव प्रस्तुत रहते हैं और भगवती प्रसन्न होती हैं।

देवी का आगमन व प्रस्थान
इस बार के नवरात्र में देवी का आगमन घोड़ा की सवारी से होगा, जिसके भयानक परिणाम होंगे। युद्ध की आशंका बढ़ेगी, क्षत्रभंग होता है। प्रस्थान मनुष्य की सवारी से होगा, जिसके परिणाम सुखद होंगे और शांति की वृद्धि होगी।

किस दिन लगाएं किस वस्तु का भोग
प्रतिपदा– रोगमुक्त रहने के लिए माँ शैलपुत्री को गाय के घी से बनी सफ़ेद चीज़ों का भोग लगाएं।
द्वितीया– लंबी उम्र के लिए माँ ब्रह्मचारिणी को मिश्री और पंचामृत का भोग लगाएं।
तृतीया– दुःख से मुक्ति के लिए माँ चंद्रघंटा को दूध और उससे बनी चीज़ों का भोग लगाएं।
चतुर्थी– तेज़ बुद्धि और निर्णय लेने की क्षमता बढ़ाने के लिए माँ कूष्मांडा को मालपुए का भोग लगाएं।
पंचमी– स्वस्थ शरीर के लिए माँ स्कंदमाता को केले का भोग लगाएं।
षष्ठी– आकर्षक व्यक्तित्व और सुंदरता पाने के लिए माँ कात्यायनी को शहद का भोग लगाएं।
सप्तमी– शोक व संकटों से बचने के लिए माँ कालरात्रि की पूजा में गुड़ का नैवेद्य अर्पित करें।
अष्टमी– संतान संबंधी समस्या से छुटकारा पाने के लिए माँ महागौरी को नारियल का भोग लगाएं।
नवमी– सुख-समृद्धि के लिए माँ सिद्धिदात्री को हलुवा-चना, खीर-पूरी आदि का भोग लगाएं।

घटस्थापन मुहूर्त
मध्याह्न 11:53 से 12:43 तक

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