Mother’s Day 2024 : बेटों के आने की उम्मीद में रास्तों को तकतीं मांओं की आंखें

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Published By Bhawna
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वृद्धाश्रम में रह रही मां ने बताया अपना दर्द तो छलक उठीं आंखें

धर्मेंद्र सिंह, अमृत विचार। आज मां का दिन यानि मातृ दिवस है, आज मेरा बेटा मुझसे मिलने जरूर आएगा। यह शब्द बुद्धि विहार स्थित वानप्रस्थ आश्रम में रहने वाली उन वृद्ध माताओं के थे जो सालों से किसी न किसी वजह से अपने जिगर के टुकड़ों से दूर रह रहीं हैं। इसी उम्मीद के साथ आश्रम में रह रही महिलाएं अपने-अपने बेटों की बात साझा कर रही थीं।

बातें उन्हीं की जुबानी सुनी तो कुछ माताओं की कहानी पर आंखों से आंसू बहने लगे। बेटों से दूर रहने वाली कुछ मजबूर माताओं ने फिर भी अपने बेटों की तारीफ के कसीदे पढ़ने में कोई कसर नहीं छोड़ी। किसी ने बताया कि वैसे तो बेटा आता नहीं, शायद मातृ दिवस पर उसे मेरी याद आ जाए। तो किसी ने बताया कि मैं अपनी मर्जी से यहां रहती हूं तो कोई कहने लगी मेरा बेटा मेरे लिए पैसे भेजता है। पूत कपूत सुने हैं पर न माता सुनी कुमाता यह आरती की चंद लाइनें वानप्रस्थ आश्रम में रहने वाली माताओं ने सही साबित कर दी। जहां रविवार को मातृ दिवस मनाया जाएगा, वहीं आश्रम में रहने वाली माताओं को भी अपने-अपने बेटों के आने का इंतजार है। वानप्रस्थ आश्रम में कुल मिलाकर 26 वृद्ध महिला, पुरुष रहते हैं। जिसमें 13 पुरुष और 13 महिलाएं रह रही हैं।

सुषमा चड्ढा पत्नी स्वर्गीय पवन कुमार चड्ढा पिछले ढाई साल से आश्रम में रह रही हैं। वह मूल रूप से दिल्ली के निजामुद्दीन की रहने वाली हैं। उनकी दो बेटियां हैं। कोई बेटा न होने के कारण वो दोनों पति-पत्नी आश्रम आकर रहने लगे थे। अब से डेढ़ साल पहले उनके पति का आश्रम में देहांत हो गया था। उनकी दोनों बेटियां मुरादाबाद में ही रहती हैं। उन्होंने बताया कि उनके बेटे नहीं है, लेकिन जिनके बेटे हैं वो भी उनसे दूर हैं। बेटों की कमी आश्रम में आकर अब नहीं खलती।

प्रमिला गुप्ता के पति रमेश गुप्ता अब इस दुनिया में नहीं है। वह मूलरूप से मुरादाबाद के मंडी चौक चौराहा गली की रहने वाली हैं। उन्होंने बताया कि उनके दोनों बेटे बिजनेसमैन हैं। वो दोनों आज मातृ दिवस पर जरूर आएंगे। वैसे तो हर मंगलवार को आते हैं। बात करते-करते उन्होंने बेटों की बदनामी न हो, इसलिए अपने मन से आश्रम में रहना स्वीकार किया। कहा कि कोई अपनी खुशी से आश्रम में अपना बुढ़ापा नहीं गुजारता। कोई न कोई ऐसी बात होती है, जिससे बेटों से दूर रहना पड़ता है।

आदर्श शर्मा पत्नी रामेश्वर शर्मा 13 साल से आश्रम रहती हैं। वैसे मूल रूप से निकटतम जिले संभल के मोहल्ला कोर्ट पूर्वी रामलीला मैदान की रहने वाली हैं। उनके दो बेटे हैं। जिसमें एक हादसे का शिकार होने के कारण शारीरिक रूप से ठीक नहीं है। दोनों बेटे मुरादाबाद लाइनपार में रहते हैं। जिसमें छोटे बेटे ने घर बना लिया है वह कभी-कभी मिलने भी आता है। बीमार होने पर दवा भी दिलवाने आता है। लेकिन बहू के व्यवहार से उसके साथ नहीं रह पाए। अब काफी साल से यहां रहते हैं तो अब मन यहीं लगता है।

सबकी बात सुन अंत में बीना रस्तोगी पत्नी अमरनाथ रस्तोगी बोलीं कि मैं 2016 से आश्रम में रह रही हूं । वैसे मैं बरेली जनपद के मूलकपुर सिटी की रहने वाली हूं। मेरा बेटा मनीष रस्तोगी है। जिसको लेकर उनके मन में भरा गुस्सा फूट गया। कहा कि वो आज मातृ दिवस पर भी नहीं आएगा, वो आया भी तो मुझे उससे नहीं मिलना है। बेटे ने बहू के पिता के साथ मिलकर मेरे पति को धोखा देकर मकान नाम करा लिया। जिससे मेरे पति भी नहीं रहे। अब मुझे आश्रम में रहना पड़ रहा है। उसके पास भी मकान नहीं रहा, फर्नीचर का काम भी उनका खत्म हो गया।

कभी-कभी किसी किसी का दिल भर आता है तो...
सभी लोग किसी न मजबूरी में यहां रहने आते हैं। यहां के माहौल में घुलमिल जाते हैं। सभी लोग आपस में प्यार पूर्वक एक दूसरे का दुख बांटने की कोशिश करते हैं। हां, पर कभी-कभी किसी किसी का दिल भर आता है तो सब मिलकर उसे संभालते हैं। -काले सिंह साल्टा, प्रबंधक, वानप्रस्थ आश्रम, मुरादाबाद

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