वाराणसी: बाबा विश्वनाथ के दरबार में 139 देश के श्रद्धालुओं ने लगाई हाजिरी

वाराणसी: बाबा विश्वनाथ के दरबार में 139 देश के श्रद्धालुओं ने लगाई हाजिरी

वाराणसी। देश की सांस्कृतिक राजधानी के तौर पर विख्यात वाराणसी में पिछले दो सालों के दौरान 130 देशों से आये श्रद्धालुओं ने बाबा विश्वनाथ के दरबार में अपनी हाजिरी लगायी है। अधिकृत सूत्रों ने गुरुवार को बताया कि यूं तो काशी हमेशा से विदेशी पर्यटकों के लिए आकर्षण का केंद्र रही है। धर्म, अध्यात्म और संस्कृति को जानने की जिज्ञासा विदेशी पर्यटकों को सात समुद्र पार से काशी खींच लाती है लेकिन नव्य भव्य श्री काशी विश्वनाथ मंदिर के विस्तारित होने के बाद धाम में आने वाले श्रद्धालुओं के देशों के भक्तों की संख्या बढ़ गई है।

बाबा के दरबार में 139 देशों के भक्तों ने पिछले दो सालो में हाज़री लगाई है। काशी को इतिहास से भी प्राचीन लिविंग सिटी का दर्जा प्राप्त है। सुप्रसिद्ध यूरोपियन लेखक और साहित्यकार मार्क ट्वेन ने काशी की कथाओं और आध्यात्मिक परंपरा पर मंत्रमुग्ध हो कर लिखा है,"बनारस इतिहास से भी पुराना है, परंपरा से भी पुराना है, किंवदंतियों से भी पुराना है और इन सभी को जोड़कर तुलना करें तो इनकी संयुक्त आयु से भी दोगुना पुराना होने की प्रतीति देता है।" 

धरोहरों और विरासत को सदियों से संजो के रखने वाली काशी ने विशिष्ट संस्कृति और परंपराओं को जीवंत रखा है। विदेशी सैलानियों को काशी का यही कौतूहल खींच कर लाता है। विदेशी सैलानियों में एक बड़ी संख्या में सैलानी श्रीकाशी विश्वनाथ जी के दर्शन करने भी आते हैं।

श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के मुख्य कार्यपालक अधिकारी विश्व भूषण मिश्र ने बताया कि धाम के लोकार्पण के बाद लगभग 25 महीनों में बाबा के दरबार में 139 देशों के भक्तों ने हाजिरी लगाई है। वहीं यदि संख्यात्मक आंकड़ों की बात करें तो वर्ष 2019 के मुकाबले वर्ष 2023 में केवल श्री काशी विश्वनाथ मंदिर में दर्शन करने वाले विदेशी सैलानियों की संख्या में ही चार गुने से भी अधिक की वृद्धि हुई है।

उल्लेखनीय है कि अनेक गैर सनातन मतावलंबी काशी आते हैं, परंतु मंदिर में दर्शन नहीं करने जाते। अतः श्रीकाशी विश्वनाथ मंदिर न्यास के सीईओ द्वारा उपलब्ध कराए गए आंकड़ों में ऐसे सैलानियों की गिनती इस संख्या में सम्मिलित नहीं है। इसी प्रकार बड़ी संख्या में सारनाथ होते हुए बौद्ध परिपथ के विदेशी पर्यटक भी इस संख्या में सम्मिलित नहीं हैं। तंत्र, शाक्त, क्रिया योग, जैन, अघोरपंथ के बड़े आश्रमों एवं साधना स्थलों पर सीधे पहुंचने वाले इन विद्याओं के विदेशी साधक भी इस आंकड़े में सम्मिलित नहीं हैं।

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