लखनऊ: अपने Sex से खुश न होने वाले महिला और पुरुष होते हैं जेंडर डिस्फोरिया के शिकार, ऐसे लोगों पर ना डालें दबाव
6 से 7 वर्ष के बच्चों में होने लगता है बदलाव
लखनऊ, अमृत विचार। जेंडर डिस्फोरिया एक ऐसी स्थिति है, जिसमें बच्चे और वयस्क दोनों हो सकते हैं। यह परिस्थितियां शरीर में बायोलॉजिकल बदलाव होने की वजह से उत्पन्न होती हैं। जेंडर डिस्फोरिया वह स्थित है जब एक बच्चा बच्चियों की तरह व्यवहार करने लगे। यानी कि एक लड़का लड़कियों की तरह रहना, कपड़े पहनना पसंद करने लगे।यह स्थिति महिलाओं और पुरुषों में भी देखने को मिल सकती है। यह जानकारी किंग जॉर्ज मेडिकल यूनिवर्सिटी के मनोचिकित्सक डॉक्टर आदर्श त्रिपाठी ने दी है।
उन्होंने जेंडर डिस्फोरिया के बारे में जानकारी देते हुए बताया है कि यह एक ऐसी स्थिति है जब कोई पुरुष अपने अंदर यह महसूस करने लगे कि वह महिलाओं की तरह है, यानी उसे महिलाओं के बीच में रहना उनकी तरह कपड़े पहनना और व्यवहार करना पसंद हो। यह स्थिति महिलाओं के साथ भी होती है।
उन्होंने बताया कि बहुत बार यह देखने में आता है कि बहुत से लोग बचपन से ही मानसिक और शारीरिक कशमकश में होते हैं। उदाहरण के तौर पर देखने में वह पुरुष होते हैं लेकिन वह खुद को महिलाओं की तरह महसूस करते हैं। मेल को फीमेल की तरह और फीमेल को मेल की तरह रहना पसंद आता है और यह सब कुछ होता है बायोलॉजिकल बदलाव के चलते और इन सब के लिए जेनेटिक हार्मोनल और ब्रेन की संरचना जिम्मेदार होती है।
बायोलॉजिकल बदलाव होने के चलते लोग अपने सेक्स (लिंग)को लेकर कशमकश में होते हैं। ऐसे लोगों पर दबाव नहीं डालना चाहिए वह जैसा जीवन जीना चाहते हैं उन्हें जीने देना चाहिए। डॉ आदर्श त्रिपाठी के मुताबिक कुछ मामलों में हार्मोनल थेरेपी और सर्जरी के जरिए जेंडर डिस्फोरिया की स्थिति वाले लोगों में बदलाव की कोशिश की जा सकती है। जिसमें जेंडर डिस्फोरिया की स्थिति वाले लोग अपने मन मुताबिक बदलाव करने की कोशिश करते हैं।
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